पटना, हिन्दुस्तान ब्यूरो। जून के अंत तक राज्य में लगभग 2200 शिक्षा सेवक या टोला सेवक की नियुक्ति पूरी हो जाएगी। शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को जून के अंत तक शिक्षा सेवक के रिक्त पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरने का निर्देश दिया था।
राज्य में अक्षर आंचल योजना के तहत दलित, महादलित, अल्पसंख्यक अतिपिछड़ा वर्ग के टोला में इनकी नियुक्ति का प्रावधान है। इस योजना के तहत जिलों में शिक्षा सेवक और तालिमी मरकज के 28 हजार पद स्वीकृत हैं। अल्पसंख्यक अतिपिछड़ा
शिक्षा विभाग ने सभी को निर्धारित समय में रिक्ति भरने के लिए कहा
वर्ग के टोला में इन्हें तालीमी मरकज के नाम से जाना जाता है। टोला सेवकों का प्राथमिक काम यह सुनिश्चित करना है किउनके क्षेत्र में सभी बच्चे स्कूल जाएं। वे बच्चों को स्कूल में नामांकन कराने और उनकी नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने में भी मदद करते हैं। बच्चों को उनके घर से स्कूल तक पहुंचाते हैं। खासकर उन बच्चों को जिन्हें अलग अलग कारण स्कूल जाने
परेशानी होती है। टोला सेवक बच्चों के अभिभावकों से मिलकर उन्हें बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करते हैं। वे बच्चों की शिक्षा के महत्व के बारे में भी उन्हें बताते हैं। इन टोलों के बच्चों की पढ़ाई में आने वाली समस्याओं को भी दूर कराते हैं। वे अभिभावक और शिक्षक के बीच संवाद स्थापित कराने में भी मदद करते हैं। इतना ही नहीं टोला सेवक दलित, महादलित और अल्पसंख्यकों से संबंधित विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में भी मदद करते हैं। वे इन योजनाओं के बारे में लोगों को जागरूक भी करते हैं।