बिहार के 21 शिक्षकों पर निगरानी का एक्शन, दर्ज हुई FIR; सामने आई ये वजह

 राज्य ब्यूरो,पटना। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर सरकारी शिक्षक की नौकरी प्राप्त करने के मामले में 21 नई प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। इसके पहले मार्च महीने में निगरानी ने फर्जी प्रमाण पत्र मामले में 20 लोगों पर प्राथमिकी की थी।

2006 से 2025 के बीच नियुक्त शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की हो रही जांच

निगरानी पटना हाईकोर्ट के आदेश पर वर्ष 2006 से 2025 के बीच नियोजित शिक्षक-शिक्षिकाओं के शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की जांच कर रही है। अब तक निगरानी पटना ने सत्यापन कराए गए 6,33,908 प्रमाण पत्रों की जांच की है। इस जांच के दौरान बड़ी संख्या में फर्जी प्रमाण पत्रों की पुष्टि हुई।



31 मार्च 2025 तक दर्ज हुए 1609 मामले

इसके बाद 31 मार्च 2025 तक 1609 मामले दर्ज किए गए और 2814 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी की गई है। निगरानी से मिली आधिकारिक जानकारी के अनुसार, शिक्षकों ने जिस बोर्ड और विश्वविद्यालय से परीक्षा पास की उक्त संस्थान से उनके प्रमाणपत्रों की पुष्टि कराते हुए यह देखा जा रहा है कि नौकरी के लिए शिक्षक-शिक्षिकाओं ने जो प्रमाण पत्र जमा किए वे असली हैं अथवा फर्जी।

मार्च में 20 फर्जी शिक्षकों पर प्राथमिकी

सत्यापन में पुष्टि होने और फर्जी प्रमाण पत्र पाए जाने के बाद मधुबनी के राजनगर में दो, पंडौल में तीन, दरभंगा के कुशेश्वर स्थान में तीन, सिवान में एक, मोतिहारी में दो, भोजपुर में दो, समस्तीपुर में सात कुल 20 कांड विभिन्न थानों में दर्ज कराए गए हैं।

अप्रैल में 21 शिक्षकों पर प्राथमिकी

इसी क्रम में अप्रैल 2025 में फर्जी प्रमाण पत्र की पुष्टि होने के बाद 11 अप्रैल 2025 शुक्रवार को निगरानी ने विभिन्न थानों में 21 कांड दर्ज करने के निर्देश जारी किए हैं।

जिन जिलों के फर्जी शिक्षकों से जुड़े ये मामले हैं उनमें दरभंगा का एक, भोजपुर के दो, कैमूर के तीन, नालंदा के दो, सहरसा का एक, जमुई का एक, भागलपुर के 11 मामले हैं। जिनके खिलाफ आज प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं।

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