जिले के स्कूलों में हाल के कुछ महीनों में घटित घटनाओं ने न केवल शिक्षकों की मर्यादा तार-तार किया है, बल्कि शिक्षा के मंदिरों को कलंकित भी किया है। चंद कलुषित विचारधारा के शिक्षकों की कारगुजारियों ने पूरे शिक्षक समाज को कटघरे में खड़ा कर दिया है। समाज को दिशा देने वाला शिक्षक समाज आज शैक्षणिक व्यवस्था में अराजकता का पर्याय बनता जा रहा है। इसके कई उदाहरण सामने आ चुके हैं। बावजूद इसके कि शिक्षा के मंदिर में घटित ऐसी घटनाएं बच्चों पर गलत प्रभाव डाल रही हैं। लेकिन विभाग की ढुलमुल
नीतियों व दोषी शिक्षकों पर कठोर कार्रवाई नहीं होने से जिले में ऐसी घटनाएं दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। बावजूद शिक्षा विभाग ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने में विफल है। पिछले कुछ महीनों में आए ये चंद घटनाएं सिर्फ बानगी है। स्कूलों में नई बहाली के बाद कई शिक्षकों के अंदर का शैतान जग गया है। कई घटनाएं लोक लाज से बाहर नहीं आ पा रही। जो मामले सामने आ रहे हैं उसमें कठोर कार्रवाई नहीं होने से इन कुत्सित विचार वाले शिक्षकों का मनोबल बढ़ता जा रहा है। यहां बताते चलें कि शिक्षा विभाग के अधिकारी ऐसे मामलों को लेकर अनुशासनात्मक कार्रवाई में जुटे हैं।