सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन को लेकर सरकार जहां सख्ती रहती है, वहीं एमडीएम में वित्तीय गड़बड़ी न हो इसके लिए शिक्षकों पर भी कड़ी नजर रखी जाती है। इतना ही नहीं सरकार यह भी सुनिश्चित करती है कि विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति के अनुसार ही मध्याह्न भोजन का निर्माण हो। इसके साथ ही समय-समय पर बच्चों की थाली में फल-सब्जी और अंडा की उपलब्धता को लेकर जांच भी की जाती है और इसमें गड़बड़ी पाए जाने पर शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है।
नामगर इन सबके बीच सरकार ने एमडीएम के लिए जो बजट तैयार किया है। वही बजट बच्चों को पौष्टिक भोजन मिलने में अड़चन पैदा कर रही है। दरअसल, सरकार ने एमडीएम के खाद्य सामग्री की खरीद के लिए जो रेट तय किया है। वह रेट बाजार के रेट से काफी कम है। ऐसे में शिक्षकों के सामने एमडीएम की गुणवत्ता बनाए रखना बड़ी चुनौती है। बताया जाता है कि बच्चों की थाली में फल, अंडा और हरी सब्जी मिलते रहे इसके लिए एमडीएम में बच्चों की उपस्थिति गलत दिखाई जाती है। ताकि उनकी गलत उपस्थिति दिखाकर दर के गैप को मैनेज किया जाए और एमडीएम को सुचारू रूप से चलाया जाए।

