स्कूल मर्जर पर मैंने कुछ खास लिखा पढ़ा या बोला नहीं

 *स्कूल मर्जर पर मैंने कुछ खास लिखा पढ़ा या बोला नहीं, स्कूल मर्जर का राजनैतिक विरोध बहुत जरूरी था, यदि मुक़दमे मे उतरा जाता तो उसके लिए बहुत बड़ी तैयारी की जरूरत थी, जिस रिट पिटीशन पर उत्सव मिश्र जी व गौरव मेहरोत्रा जी एपियर हुए, उस बच्चे के मर्ज हो रहे विद्यालय के जिसमें मर्जर हो रहा उस विद्यालय की दूरी माप लें, तभी हाईकोर्ट में स्पेशल अपील में और सर्वोच्च न्यायालय की SLP मे सहयोग करें,अन्यथा स्पेशल अपील और SLP जब खारिज होगी तब शिक्षकों, बच्चों एवं अभिभावकों को बहुत दुख होगा*




*जिस बच्चे के स्कूल की दूरी एक या डेढ़ किलोमीटर से अधिक हो, उसी से स्पेशल अपील करवाएं, यदि वह सिंगल बेंच में याची न हो, तो Applicants बनकर परमिशन माँग कर स्पेशल अपील फ़ाइल करे, सरकार इस मुक़दमे को अपनी प्रतिष्ठा का विषय बना लिया है, इसलिए कोई भी कमी रहने पर उसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है, अब तक हम लोगों का ध्यान इस विषय पर था, कि अपने विभाग को किस तरह बुलंदी पर पहुंचाया जाए, परन्तु अब ध्यान इस तरफ भटक गया है कि अपना अस्तित्व कैसे बचाया जाए, आशा है कि मेरे विचार को लोग तवज्जो देंगे, और गंभीरता से मनन करेंगे*


✍️ राघवेन्द्र पाण्डेय

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