राज्य ब्यूरो, जागरण पटना: प्रदेश एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में भाषा की भी प्रयोगशाला होगी, जिसमें विद्यार्थी अपनी भाषायी ज्ञान के विविध आयामों को सृजनात्मक रूप देंगे। भाषा की प्रयोगशाला में पुस्तकालय एवं कंप्यूटर की भी व्यवस्था होगी। उसमें सृजनात्मक कार्य के तहत विद्यार्थी कविता लिखेंगे। अनुभव लिखेंगे। कहानियों पर केंद्रित चित्र बनाएंगे। दैनिक जीवन के अनुभवों को लिखेंगे। साक्षात्कार लेंगे। कार्टून बनाएंगे। लघु नाटक लिखेंगे। ऐसे ही दूसरे सृजनात्मक कार्य भी विद्यार्थियों द्वारा विकसित किए जाएंगे। माध्यमिक शिक्षा के स्तर के विद्यालयों में भाषा प्रयोगशाला की आवश्यकता बिहार पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2025 में महसूस की गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि विद्यालयों में समान्यतया भाषा प्रयोगशाला का अभाव रहा है। इसके कारण विद्यार्थी भाषायी दक्षता सही ढंग से विकसित नहीं कर पाते हैं।
बिहार पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2025 तैयार करने वाले विशेषज्ञों ने कहा है कि विद्यालयों में प्रारंभिक स्तर
विद्यार्थी लिखेंगे कविता-नाटक बनाएंगे चित्र, लेंगे साक्षात्कार
से ही भाषा कौशल के विकास के लिए भाषा प्रयोगशाला की व्यवस्था की जानी चाहिए। इससे बच्चे विविध श्रव्य दृश्य सामग्री इत्यादि का उपयोग कर अपनी भाषायी दक्षता का पर्याप्त विकास कर सकते हैं। भाषा शिक्षण को रुचिकर बनाने की आवश्यकता जताते हुए स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध बाल साहित्य को लिपिबद्ध करने एवं साहित्य सृजन की जरूरत है। बाल साहित्य की भाषा सरल एवं सहज रखने की भी आवश्यकता है। दक्षता आधारित भाषा शिक्षण की व्यवस्था की जरूरत है। यह इसलिए जरूरी है, क्योंकि सामान्यत विद्यालयों में शिक्षकों का जोर भाषाओं की पाठ्यपुस्तकों की सामग्री को पूरा करने पर ज्यादा रहता है। इससे दक्षता आधारित प्रतिफल की प्राय उपेक्षा होती है।