राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने वर्चुअल निरीक्षण शुरू किया है। हर दिन 10 स्कूलों में हेडमास्टर, शिक्षक को वीडियो कॉल करके जांच कर रहे हैं। ऐसे में स्थानीय स्तर पर भी 7 से 12 अधिकारी और कर्मचारियों की टीम गठित की गई है। ये स्थानीय स्तर पर स्कूलों का निरीक्षण कर रहे हैं। इस दौरान स्कूल परिसर की सफाई, छात्र शिक्षक की उपस्थिति, ड्रेस आदि देखी जा रही है। स्थानीय स्तर पर अधिकारियों की कोशिश है कि अपर मुख्य सचिव के फोन आने से पहले ही स्कूलों की अधिकांश व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए।
4 दिन में 40 स्कूलों का निरीक्षण
अपर मुख्य सचिव ने 4 दिनों में 40 स्कूलों का वर्चुअल निरीक्षण किया। इस दौरान 40% स्कूलों की व्यवस्था से वह असंतुष्ट रहे। उन्होंने संबंधित हेडमास्टर और शिक्षकों को स्थिति सुधारने का निर्देश दिया। हालांकि निरीक्षण के दौरान ही 4 दिनों में दो अधिकारी और एक प्रधानाचार्य पर कार्रवाई की गई। इनमें मधुबनी के डीईओ जावेद आलम, पूर्वी चंपारण के डीपीओ हेमचंद्र व सुपौल के उत्क्रमित मध्य विद्यालय के प्रधानाचार्य हरि कृष्ण महतो शामिल हैं।
1 महीने से एसआईटी स्कूलों की निगरानी कर रही थी
राज्य के सरकारी स्कूलों की स्थिति जानने के लिए डॉ. सिद्धार्थ ने एसआईटी गठित की थी। यह नवंबर से 38 जिलों में घूमकर स्कूलों की रिपोर्ट बना रही है। रिपोर्ट में 60% स्कूलों की स्थिति दयनीय बताई गई है। स्कूलों में योग्य शिक्षक हैं और छात्रों की संख्या भी पर्याप्त है, लेकिन शिक्षक
पढ़ाने में रुचि नहीं लेते हैं। अधिकांश स्कूलों में साफ-सफाई, बेंच, कॉपी-किताब सहित अन्य व्यवस्था भी खराब मिली। रिपोर्ट के बाद एसीएस ने वर्चुअल निरीक्षण का निर्णय लिया। इसमें वे रैंडम ही स्कूलों में हेडमास्टर और शिक्षक को फोन कर स्कूल दिखाने को कहते हैं।
अक्टूबर में निरीक्षण की योजना बनी थी
इससे पहले अक्टूबर में स्कूलों के निरीक्षण के लिए योजना बनी थी। मुख्यालय स्तर के साथ ही जिलास्तर पर टीम बनाई गई। टीम को स्कूलों में जाकर निरीक्षण कर रिपोर्ट बनाकर मुख्यालय को देनी थी। लेकिन अधिकांश निरीक्षक ने मेज पर बैठ कर रिपोर्ट तैयार की। इस कारण स्कूलों की वास्तविक व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ। जांच के दौरान डॉ. एस. सिद्धार्थ को वास्तविकता का पता चला, जिसके बाद कई निरीक्षकों पर कार्रवाई की गई।
