फर्जी शिक्षकों को हटाएगा कौन ? सरकार पत्र लिख रही, अफसर मान नहीं रहे

 फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी पाए जिन शिक्षकों का विजिलेंस केस में नाम है वे स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। शिक्षा विभाग को भी सच्चाई पता है लेकिन कार्रवाई नहीं होती। 19 नवंबर को शिक्षा विभाग के निदेशक प्रशासन-सह-अपर सचिव सुबोध कुमार चौधरी ने मुंगेर के जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिखा था। कहा गया कि फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्त जिन 142 शिक्षकों का विजिलेंस की एफआईआर में नाम है उनके विरुद्ध कार्रवाई करें। साथ ही संपन्न सक्षमता परीक्षा के बाद 20 नवंबर को शिक्षकों को दिए जाने वाले औपबंधिक नियुक्ति पत्र भी इन शिक्षकों को देने से मना किया गया। दैनिक भास्कर ने ग्राउंड पर जाकर जब शिक्षा विभाग के पत्र के असर की पड़ताल की तो पता चला कि शिक्षकों को औपबंधिक नियुक्ति पत्र तो नहीं दिए गए लेकिन वे स्कूलों में हेडमास्टर बने बैठे हैं।



क्या है मामलाः वर्ष 2006 से 2015 के बीच त्रि-स्तरीय पंचायत व नगर निकायों में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर कई शिक्षक नियोजित हो गए। इस मामले में पटना हाईकोर्ट में मामला पहुंचा और विजिलेंस ब्यूरो ने शिक्षकों, संस्थान और नियोजन इकाइयों को मिलाकर कुल 2690 एफआईआर दर्ज किए। इनमें अन्य जिलों के साथ मुंगेर जिला के 142 शिक्षक भी शामिल हैं।

विभाग ने कार्रवाई को कहा: शिक्षा विभाग के निदेशक प्रशासन-सह-अपर सचिव के निर्देश के बाद भी इन शिक्षकों पर मुंगेर के जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कार्रवाई नहीं की है। यह मुंगेर के अलग- अलग स्कूलों में पड़ताल के दौरान पता चला। भास्कर ने चार स्कूलों में जाकर पड़ताल की तो पता चला कि सभी शिक्षक पढ़ा रहे हैं।


इन शिक्षकों पर आरोप


केस 1 प्राथमिक विद्यालय शिवपुर की शिक्षक ज्ञानमाला के खिलाफ भी केस दर्ज है। लेकिन वे हेडमास्टर के तौर पर कार्यरत हैं।


केस 2 प्राथमिक विद्यालय कारीघाट में नीलम भी हेडमास्टर के तौर र पर कार्यरत हैं। इनपर भी फर्जीवाड़े का मामला दर्ज है।


केस 3 प्राथमिक विद्यालय बड़की हथिया के शिक्षक अमरेंद्र और सुजाता कुमारी स्कूल में कार्यरत हैं मगर उस दिन छुट्टी पर थीं।


शिक्षक पढ़ा रहे या नहीं मुझे जानकारी नहीं


मुझे सिर्फ आरोपी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र नहीं देने का आदेश था। शिक्षक स्कूल में पढ़ा रहे या नहीं मुझे इसकी जानकारी नहीं। बीईओ, खड़गपुर

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