गोपालगंज में नियोजित शिक्षकों की सक्षमता परीक्षा के बाद दस्तावेजों की गलती पाए जाने पर शिक्षा विभाग ने कड़े कदम उठाए हैं। काउंसलिंग के दौरान 106 शिक्षकों के दस्तावेजों में गलती पाई गई, जिनके लिए विभाग ने अंतिम चेतावनी जारी की है।
इन शिक्षकों को 24 घंटे के भीतर अपना पक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
सक्षमता परीक्षा पास करने वाले शिक्षकों की एक अगस्त से 13 सितंबर तक बसडीला के DRCC प्रांगण में काउंसलिंग सह दस्तावेज़ सत्यापन किया गया था। इस दौरान, 106 शिक्षकों के कागजातों में गड़बड़ी पाई गई थी। जिला शिक्षा पदाधिकारी योगेश कुमार ने इन शिक्षकों की सूची जारी की है और उन्हें निर्देश दिया है कि वे 24 घंटे के भीतर अपना बचाव अभिकथन (जवाब) प्रस्तुत करें।
अधिकारियों के अनुसार, यदि ये शिक्षक समय पर अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं करते हैं तो यह माना जाएगा कि उन्हें अपने पक्ष में कुछ नहीं कहना है, और शिक्षा विभाग आवश्यक कार्रवाई की दिशा में आगे बढ़ेगा। यह कदम नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा देने की प्रक्रिया का एक हिस्सा है, जिसमें दस्तावेजों की प्रमाणिकता सुनिश्चित करना आवश्यक है।
राज्य शिक्षा शोध एवं ट्रेनिंग परिषद, पटना के निर्देशानुसार, राज्य के प्रारंभिक शिक्षकों का ICT (सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी) और FLN (आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता) प्रशिक्षण 11 नवंबर से 16 नवंबर तक आयोजित किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण का आयोजन प्राथमिक शिक्षक शिक्षा प्रशिक्षण महाविद्यालय, सुखासन-मंहरा में किया जा रहा है और इसमें 180 शिक्षकों को नामित किया गया है।
इस छह दिवसीय प्रशिक्षण में शिक्षकों को एफएलएन और आईसीटी की अवधारणाओं से परिचित कराया जाएगा, जो प्राथमिक कक्षाओं के छात्रों के बुनियादी शिक्षा कौशल को मजबूत बनाने में सहायक होंगे। प्रशिक्षण के पहले दिन प्री-टेस्ट और अंतिम दिन पोस्ट-टेस्ट भी लिया जाएगा, जिससे शिक्षकों की प्रगति का आकलन किया जा सके।
बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता (FLN): यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया जा रहा है कि कक्षा 1-5 में बच्चों को पढ़ाई के शुरुआती वर्षों में साक्षरता और गणित के मूलभूत कौशल विकसित किए जाएं।
प्रभावी शिक्षण-प्रणाली: इस प्रशिक्षण में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) का उपयोग कर बच्चों को पढ़ाई में अधिक दिलचस्पी पैदा करना भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे शिक्षकों की कुशलता बढ़ सके।
गणितज्ञ मंजुल भार्गव ने जोर देकर कहा कि बच्चों के सीखने के शुरुआती चरणों में बुनियादी कौशल का विकास महत्वपूर्ण है, क्योंकि इन कौशलों में पिछड़ने वाले छात्र आगे चलकर अक्सर चुनौतियों का सामना करते हैं और उनके सीखने की गति धीमी पड़ जाती है।
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