ड्रॉपबॉक्स में फंसे बच्चों के नाम विद्यालयों में दर्ज

 ड्रॉपबॉक्स में फंसे बच्चों के नाम विद्यालयों में दर्ज



पटना, कार्यालय संवाददाता। यू- डायस के ड्रॉपबॉक्स में दर्ज दो लाख 35 हजार बच्चों का अब स्कूलों की रिकॉर्ड में नामांकन हो चुका है। यानी ये बच्चे अब राज्य के सरकारी या निजी स्कूलों में दाखिल होकर अपनी पढ़ाई नियमित रूप से कर रहे हैं। ये बातें यू-डायस के ड्रॉपबॉक्स के आंकड़ों से सामने आई हैं।

दरअसल, 21 अगस्त तक राज्य के लगभग 18 लाख 21 हजार बच्चों के नाम यू-डायस के ड्रॉपबॉक्स में दर्ज थे। जबकि 21 सितंबर तक यह संख्या घटकर 15 लाख 86 हजार हो गई।

यानी करीब 2 लाख 35 हजार बच्चों को स्कूलों ने ड्रॉपबॉक्स से इंपोर्ट कर अपने यहां नामांकित कर लिया है। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद से मिली जानकारी के मुताबिक इन बच्चों में से अधिकतर का नामांकन छठी या आठवीं

कक्षा में हुआ है। पहले यह आशंका थी कि ये बच्चे ड्रॉपआउट हो चुके हैं, लेकिन अब स्थिति स्पष्ट हो गई है कि वे पढ़ाई में जुड़े हुए हैं। हालांकि अब भी 15 लाख से अधिक बच्चों का विवरण ड्रॉपबॉक्स में ही फंसा हुआ है। माना जा रहा है कि इनमें से बड़ी संख्या में बच्चे वास्तव में स्कूलों में नामांकित हैं लेकिन

स्कूलों द्वारा उन्हें यू-डायस पोर्टल पर इंपोर्ट नहीं किया गया है।

अगले एक महीने में इसकी समीक्षा की जाएगी। इसके तहत पिछले स्कूलों से इन बच्चों की जानकारी जुटाकर संपर्क किया जाएगा कि वे वास्तव में पढ़ाई छोड़ चुके हैं या फिर यू-डायस में अपडेट नहीं हो सके हैं।

ड्रॉपबॉक्स में स्कूल छोड़ने वाले बच्चों का रिकॉर्ड रहता है

यू-डायस प्लस में ड्रॉप बॉक्स एक सुविधा है जो स्कूल छोड़ने वाले या नए स्कूल में प्रवेश लेने वाले छात्रों के रिकॉर्ड को सुरक्षित रूप से संग्रहीत करती है। जो बच्चे किसी स्कूल को छोड़ते हैं उनका डेटा ड्रॉपबॉक्स में रहता है। यहां से उन्हें नए स्कूलों में आसानी से स्थानांतरित किया जा सकता है ताकि वे अपनी शिक्षा जारी रख सकें। यह डेटा को केंद्रीकृत करने और छात्रों को दोहराए जाने या छूटे हुए रिकॉर्ड के बिना एक स्कूल से दूसरे स्कूल में स्थानांतरित करने में मदद करता है।
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