कच्चे फर्श पर बिठाकर संवार रहभविष्य...सिलिंडर ढोती मिलीं छात्राएं
विद्यालयों में नहीं बना है फर्श, पानी टपकने से मिट्टी हो जाती है दलदल
संतकबीरनगर। राजस्थान के झालावाड़ा में हादसे के बाद भी जिम्मेदारों की नींद नहीं खुल रही है। शासन के निर्देश के बाद कार्रवाई तो शुरू हुई है, लेकिन अभी सब कागजों तक ही सीमित है। सर्वे का काम भी कछुए की चाल से चल रहा है। हालत यह है कि दशा सुधारने का दावा करने वाले बेसिक शिक्षा विभाग में छात्राओं से सिलिंडर ढुलाई कराई जा रही है। जर्जर कमरे में छात्राएं छत से पानी टपकने के कारण बने दलदल में बैठकर पढ़ाई कर रही हैं। ज्यादातर विद्यालयों में बाउंड्रीवाल न होने से जानवरों का खतरा बना हुआ है। वहीं परिसर में जलभराव से बच्चों की मुसीबत बढ़ गई है।
यह हाल जिला मुख्यालय के स्कूलों का है। इन्हें देखकर ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों के हाल का अंदाजा लगाया जा सकता है। जिले में 1247 परिषदीय विद्यालय है। इसमें 805 प्राथमिक, 192 उच्च प्राथमिक और 250 कंपोजिट विद्यालय शामिल है। इन विद्यालयों में 1.03 लाख बच्चों के नामांकन का दावा विभाग कर रहा है, लेकिन एक तिहाई बच्चे भी मौके पर नहीं मिल रहे हैं। मंगलवार को संवाद न्यूज एजेंसी की टीम ने जब विद्यालयों की पड़ताल की तो हकीकत सामने आई। ज्यादातर विद्यालयों के बाउंड्री वाॅल न होने के साथ कमरे जर्जर थे। हर विद्यालयों पर शिक्षक तो मौजूद थे, लेकिन पठन-पाठन की व्यवस्था लचर मिली।
कंपोजिट विद्यालय पटखौली में छात्राओं से ढुलवाया जाता है सिलिंडर
खलीलाबाद नगर पालिका क्षेत्र के कंपोजिट विद्यालय पटखौली में सुबह 10 बजे के करीब सिलिंडर लेकर कंपनी की गाड़ी विद्यालय पर पहुंची थी। उसी दौरान विद्यालय के अनुचर राकेश कुमार गाड़ी के पास पहुंचे। उसके बाद सिलिंडर उतारकर छात्राओं को बुलाया। तीन छात्राएं पहुंची और उनसे सिलिंडर उठाकर विद्यालय तक लाने को कहा। इसके बाद छात्राएं सिलिंडर लेकर विद्यालय के अंदर परिसर में प्रवेश की और अनुचर आगे-आगे तो छात्राएं सिलिंडर हाथ में लेकर पीछे-पीछे चल रही थी। इसपर किसी शिक्षक ने आपत्ति नहीं जताई। विद्यालय में कुल 193 नामांकन है, लेकिन मौके पर 25 विद्यार्थी ही मिले। जबकि छह शिक्षक व एक शिक्षा मित्र की तैनाती है। एमडीएम में पूड़ी व सब्जी बन रही थी। प्रधानाध्यापक सुशील कुमार त्रिपाठी ने बताया कि छात्राओं से सिलिंडर ढुलवाना गलत है। नामांकन के सापेक्ष कम उपस्थिति पर बताया कि पर्व की वजह से छात्र कम आएं है। यहां पर बाउंड्रीवाॅल न होने से जानवरों के परिसर में आने का खतरा बना रहता है।
बाउंड्रीवाल न होने से जानवरों का रहता है डर
जूनियर कंपोजिट विद्यालय खलीलाबाद में बाउंड्रीवाल नहीं है। इससे परिसर में जानवर आ जाते हैं। इसके साथ ही रात में अराजक तत्व विद्यालय में आकर तोड़फोड़ करते हैं। दिन में पठन-पाठन के समय बच्चों में जानवरों का डर बना रहता है। यहां पर कुल 336 नामांकन के सापेक्ष 120 छात्र मौजूद थे। बच्चे एलईडी पर पठन-पाठन से संबंधित जानकारी ले रहे थे। प्रधानाध्यापिका विजय लक्ष्मी ने बताया कि पर्व की वजह से बच्चे कम आए हैं। विद्यालय पर सबसे ज्यादा दिक्कत बाउंड्रीवाल की है। आए दिन परिसर में जानवर आ जाते है जो बच्चों को दौड़ा लेते है। बाउंड्रीवाल के लिए कई बार विभाग और नगर पालिका को पत्र दिया गया, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
कमरे में दलदल और परिसर में जलभराव से दिक्कत
जूनियर हाईस्कूल बड़गो के परिसर में जलभराव है। कमरों तक पहुंचने में बच्चों को काफी परेशानी हो रही है। इसके साथ ही बाउंड्रीवाल भी नहीं है। यहां पर कुल तीन कमरे बने हैं, लेकिन किसी भी कमरे में छत या दीवार पर प्लास्टर नहीं हुआ है। छत से बारिश के समय पानी टपकता है। कमरे के अंदर फर्श भी नहीं है। पानी टपकने की वजह से मिट्टी दलदल हो जाती है। इसी कमरे में बैठकर बच्चे शिक्षा ग्रहण करते है। यहां पर 68 बच्चे नामांकित है लेकिन मौके पर 40 ही मौजूद मिले। प्रधानाध्यापिका कंचन त्रिपाठी ने बताया कि कुल तीन शिक्षकों की तैनाती है। बाउंड्रीवाल के लिए कई बार पत्र लिखा गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
प्राथमिक विद्यालय मंड़या में छत से टपकता है पानी
खलीलाबाद शहर के प्राथमिक विद्यालय मड़या में दो कमरे बने है। जहां पर छत से पानी टपकता है। पीछे की छज्जा भी गिर गया है। भवन के पीछे बड़ा तालाब है, जिससे हमेशा कीड़े आदि आने का डर बना रहता है। यहां पर कुल पांच शिक्षक तैनात है। 85 बच्चों का नामांकन है। मौके पर 40 बच्चे उपस्थित मिले। प्रधानाध्यापिका अमलावती ने बताया कि दो कमरे पूरी तरह से जर्जर है। बारिश होती है तो पानी टपकता है। इसके लिए कई बार विभाग को पत्राचार किया गया। पीछे की बाउंड्रीवाल नहीं है, जिससे हमेशा डर बना रहता है।
बच्चों से सिलिंडर ढुलवाना गलत है। इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जहां तक बाउंड्रीवाल का सवाल है इसके लिए प्रयास किया जा रहा है कि जल्द से जल्द विद्यालयों में बाउंड्रीवाल का निर्माण हो जाए। जर्जर भवनों की सूची बनवाई जा रही है।
- अमित कुमार सिंह, बीएसए
बच्चे विद्यालयों पर पठन पाठन के लिए आते है। अगर उनसे सिलिंडर ढुलवाया जाना सही नहीं है। प्रकरण की जांच होगी। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जर्जर भवनों की रिपोर्ट बीएसए से मांगी गई है।