मिडिल स्कूल में मौसम को देख चलता है शैक्षणिक कार्य
करपी, निज संवाददाता। सोनभद्र बंशी सूर्यपुर प्रखंड क्षेत्र के एकरौंजा मध्य विद्यालय में मौसम की मेहरबानी पर शैक्षणिक कार्य होता है। अगर मौसम प्रतिकूल रहा तो बच्चों की पढ़ाई बाधित हो जाती है। इस स्कूल की स्थापना 1974 में की गई थी।
2017 में इसे उत्क्रमित कर मध्य विद्यालय का दर्जा दिया गया। लेकिन सुविधा एक प्राथमिक विद्यालय की तरह भी नहीं है। भवन विहीन विद्यालय में 126 छात्र-छात्राओं का भविष्य एक छोटे कमरे में पांच शिक्षकों के सहारे चल रहा है। बरसात के दिनों में इंद्र भगवान की कृपा रही तो बच्चों को खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ाया जाता है।
मध्य विद्यालय एकरौंजा एक ऐसा विद्यालय है जहां मौसम की मेहरबानी पर पढ़ाई होती है। कुछ बच्चे देवी मंदिर के परिसर में तो कुछ बच्चे पेड़ की छाया में पढ़ाई करते हैं। मौसम की मेहरबानी पर यदि पूरे दिन शिक्षण कार्य चला तो पेड़ की छाया के अनुसार छात्रों के बैठने का स्थान बदलते रहता है। इस विद्यालय में भवन के नाम पर एक कमरा एवं स्टोर तथा कार्यालय है। विद्यालय की प्रभारी बबीता कुमारी ने बताया कि इसी गांव के इंद्रदेव शर्मा ने 6 फरवरी 1980 को साढ़े तीन कट्ठा जमीन दान दी थी। जिसमें सवा कट्टे में एक कमरे का भवन भी बना है। उत्क्रमित किए जाने के बाद तीन एसीआर भवन निर्माण के लिए विभाग के द्वारा 30 अगस्त 2012 को 807024 रुपए आवंटित किया गया था। भवन निर्माण कार्य के लिए सामग्री भी गिराया गया। लेकिन दान कर्ता के परिजनों के द्वारा अब जमीन देने से इनकार किया जा रहा है कि वह केवल अपना जमीन ही दान में दिए थे, जिसमें एक कमरे का भवन बना हुआ है। भवन निर्माण के लिए
काफी प्रयास किया गया। इन्होंने बताया कि भवन नहीं रहने के कारण बरसात के दिनों में पढ़ाई बाधित होती है। भवन निर्माण के लिए ग्रामीणों के साथ बैठक आयोजित की गई, लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला। इसकी शिकायत अंचल अधिकारी से किए जाने के बाद अंचल अमीन के द्वारा जमीन की मापी कर पिलर भी डाला गया था। लेकिन विवाद उत्पन्न होने के कारण भवन निर्माण नहीं हो सका। विद्यालय प्रधान ने बताया कि भवन नहीं बन पाने के कारण 16 अप्रैल 2014 को सूद समेत 853374 रुपए विभाग को वापस
कर दिया गया। अभिभावक एवं शिक्षक गोष्ठी में 4 महीने के लिए गांव के वित्त रहित उच्च विद्यालय में स्कूल संचालक का आग्रह ग्रामीणों से किया गया था। लेकिन गांव के कुछ अभिभावक अपने बच्चों को वहां भेजने से इनकार कर दिए। इस कारण किसी प्रकार वर्ग एक से आठ तक के छात्रों का क्लास चलता है। स्थानीय ग्रामीण नारायण शर्मा ने बताया कि उच्च विद्यालय के निकट दो एकड़ जमीन आम गैरमजरूआ है। शिक्षा विभाग चाहे तो इस जमीन पर अंचल अधिकारी के आदेश से विद्यालय भवन बनाया जा सकता है।