जिले के सरकारी स्कूलों को आदर्श स्कूल बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय की ओर से इसके लिए कार्ययोजना तैयार की गयी है. इसके तहत एक-एक गतिविधि की जानकारी प्रतिदिन स्कूलों को दी जायेगी. स्कूल में होने वाले चेतना सत्र के बाद प्रतिदिन किसी एक विषय पर पांच मिनट विचार
गोष्ठी आयोजित की जायेगी, ताकि स्कूली बच्चे संस्कारवान बन सकें. स्कूलों में चेतना सत्र के दौरान किस विषय पर कंटेंट पर बात होगी, इसे एससीइआरटी की ओर से तैयार किया जायेगा. इस कार्ययोजना का सभी विद्यालयों को पालन करना होगा. जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय की ओर से स्कूलों के लिए तैयार कार्ययोजना में कहा गया है कि विद्यालय परिसर को आकर्षक बनाया जाये. स्कूल को देखकर ऐसा
लगे कि बच्चा किसी आदर्श विद्यालय में पढ़ रहा है. विद्यालयों को दी गई सामग्री, जैसे-ग्लोब, नक्शा, चार्ट, पुस्तक, डिक्शनरी, शिक्षक डायरी
आदि का सदुपयोग करना अनिवार्य है. पत्र में कहा गया है कि विद्यालय के पोषक क्षेत्र के अभिभावकों के साथ समन्वय स्थापित करें.
बच्चे खेलेंगे चोर-सिपाही व गिल्ली-डंडा
प्रधानाध्यापकों से कहा गया है कि स्कूलों में प्रतिदिन खेल गतिविधि आयोजित की जाये, बच्चों को स्थानीय खेल जैसे- कबड्डी, किथ किथ, रस्सी कूद, दौड़, गिल्ली- डंडा, अट्ठा-गोटी, आइस-पाइस, चोर सिपाही, लूडो खेलने में शिक्षक सहयोग करें. बच्चों को बुरी आदतों से दूर रहने की सलाह प्रतिदिन चेतना सत्र के दौरान दें. बच्चों में आत्मविश्वास जगे, ऐसी प्रेरक कहानी सुनाने का भी निर्देश दिया गया है.
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