Updatemart: विद्यालय शिक्षा समिति ही अब स्कूल के लिए विकास योजना तैयार करेंगी

 विद्यालय शिक्षा समिति ही अब स्कूल के लिए विकास योजना तैयार करेंगी



अब सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा तय करने में अधिकारी नहीं, बल्कि अभिभावकों की भूमिका अहम होगी। स्कूल की विकास योजनाएं से लेकर संचालन और निगरानी तक की जिम्मेदारी अब अभिभावकों के हाथ में होगी। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि प्रत्येक स्कूल में कार्यरत विद्यालय शिक्षा समिति ही अब स्कूल के लिए विकास योजना तैयार करेगी। इसके लिए अभिभावकों को जून से अगस्त तक विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। राज्य परियोजना निदेशक ने इस


संबंध में निर्देश जारी करते हुए कहा है कि विद्यालय विकास योजना अब बजट से दो माह पहले समिति के सदस्य तैयार करेंगे। इसमें विशेष ध्यान यह रखा जाएगा कि समिति में कम से कम दो महिला अभिभावकों की भागीदारी अनिवार्य हो। स्कूलों के संचालन, निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सभी सदस्यों को 'लोक संवाद प्रशिक्षण मॉड्यूल' के तहत प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रशिक्षण की प्रक्रिया व्यवस्थित होगी। प्रत्येक बैच में 42 प्रतिभागी शामिल होंगे और एक बैच पर 20 हजार रुपये का खर्च होगा। प्रशिक्षण से पहले और बाद में


प्रतिभागियों का ज्ञान मूल्यांकन किया जाएगा, ताकि प्रशिक्षण का प्रभाव स्पष्ट हो। शिक्षा समिति के सदस्य के रूप में अभिभावकों को विद्यालय के संचालन का अनुश्रवण करना होगा। सरकारी योजनाओं के तहत प्राप्त राशि के समुचित उपयोग की जिम्मेदारी भी उन्हीं की होगी। इसके अलावा पोषक क्षेत्र के सभी बच्चों का नामांकन सुनिश्चित कराना, स्कूल भवन का निर्माण नियमों के अनुसार कराना, भवनों के रखरखाव के लिए जन सहयोग जुटाना और मध्याह्न भोजन की व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाना प्रमुख दायित्व होंगे।

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