शिक्षकों की ट्रेनिंग से छात्रों को कितना फायदा... जांच होगी
पटना राज्य के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को मिलने वाली ट्रेनिंग से छात्रों को कितना फायदा हो रहा है, इसकी जांच होगी। शिक्षकों के पढ़ाने का तरीका, छात्रों के सीखने की क्षमता, छात्रों द्वारा पूछे गए सवालों का उत्तर, प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहन, पिछले पाठ से अगले पाठ को जोड़ने की विधि सहित 23 बिंदुओं पर जांच की जाएगी। उसके बाद शिक्षकों का मूल्यांकन कर कमियों को दूर करने का निर्देश दिया जाएगा। उनकी ग्रेडिंग कर रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जाएगी।
इन बिंदुओं पर उ पर जांच होगी
- शिक्षकों से छात्रों का सवाल पूछना और जवाब से संतुष्ट होना।
- छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करना।
- जो पढ़ाया जा रहा है, उसमें कितना तर्क है, उसको किस वस्तु, व्यक्ति से जोड़ा जा रहा है, इसकी जांच होगी।
- पढ़ाए जाने वाले पाठ को पिछले पाठ से जोड़ना।
- छात्रों को महत्वपूर्ण बिंदुओं को नोट कराना।
शिक्षकों को एक-एक सप्ताह की ट्रेनिंग सीटीई, डायट, पीटीईसी, बायट में दी जा रही है। इसमें छात्रों को पढ़ाने का तरीका, छात्रों की मानसिक व वास्तविक स्थिति की जांच, स्कूल का माहौल, पढ़ाई के लिए अनुकूल स्थिति के बारे में बताया जा रहा है। एक सप्ताह की ट्रेनिंग के बाद शिक्षकों की मूल स्कूल में वापसी हो जाती है। ऐसे में प्रशिक्षण संस्थान के शिक्षक और प्राचार्य ही 23 बिंदुओं पर जांच करेंगे। प्रशिक्षण संस्थान के एक शिक्षक को 5 स्कूलों की जांच की जिम्मेदारी दी गई है। इसके लिए एससीईआरटी के निदेशक विनायक मिश्र ने सभी प्रशिक्षण संस्थानों के प्राचार्य, प्रभारी प्राचार्य को निर्देश दिया है। जानकारी के मुताबिक शिक्षकों की ट्रेनिंग पर काफी खर्च हो रहा है। ऐसे में शिक्षा विभाग ने ट्रेनिंग के फायदों की जांच की योजना बनाई है। ताकि जरूरत होने पर ट्रेनिंग प्रक्रिया में भी सुधार किया जा सके।