रास्ता के अभाव में स्कूल नहीं पहुंचते छात्र व शिक्षक
करगहर, एक संवाददाता। सर्व शिक्षा अभियान के तहत गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध कराने का भले ही दावा किया जाता हो लेकिन, प्रखंड का एक ऐसा विद्यालय जहां रास्ता के अभाव में छात्र पांच माह तक विद्यालय नहीं पहुंच पाते हैं।
इस दौरान शिक्षक छात्रों का इंतजार करते हैं। लेहरा गांव के अभिभावकों ने बताया कि पहले गांव में विद्यालय नहीं था। गांव के छोटे बच्चे चार किलोमीटर पैदल चलकर तोरनी गांव में स्थित विद्यालय में पढ़ने जाते थे। ग्रामीणों के काफी प्रयास के बाद वर्ष 2006 में शिक्षा विभाग द्वारा गांव में प्राथमिक विद्यालय स्थापित करने के लिए मंजूरी दे दी। लेकिन, भवन का निर्माण नहीं किया गया। फलस्वरुप गांव के एक सार्वजनिक स्थल पर मजबुरन छात्र पेड़ के नीचे शिक्षा ग्रहण करते रहे। पेड़ के नीचे पढ़ाने की प्रक्रिया वर्ष 2015 तक चली तब विभाग की आंख खुली और गांव के बधार में सरकारी भूमि पर प्राथमिक विद्यालय भवन का निर्माण किया गया। प्राथमिक विद्यालय लेहरा के भवन निर्माण के 10 वर्ष गुजर गए।
बैठक कर प्रस्ताव पारित करने के लिए कहा गया
प्रधानाध्यापक नंदकिशोर कुमार ने बताया कि इस समस्या के समाधान के लिए पहुंचे बीडीओ व सीओ ने निजी भूमि में रास्ता निर्माण के लिए भूस्वामियों से सहमति के लिए बैठक कर प्रस्ताव पारित करने के लिए कहा। प्रस्ताव की प्रति उपलब्ध करा दी गई है। लेकिन रास्ता निर्माण के लिए कोई पहल नहीं किया गया । बीडीओ अजीत कुमार ने बताया कि ग्रामीणों की बैठक में पारित प्रस्ताव के आलोक में भूमि का विवरण व नजरिया नक्शा प्रस्तुत करने के लिए सीओ कार्यालय भेजा गया लेकिन कागजात उपलब्ध नहीं कराई गई।
लेकिन विद्यालय तक पहुंचने के लिए रास्ता का निर्माण नहीं किया गया। अभिभावकों ने बताया पानी लांघकर छोटे मासूम बच्चों को विद्यालय तक पहुंचना खतरे से खाली नहीं है। खतरे की आशंका को लेकर अभिभावक बरसात के दिनों में अपने बच्चों को विद्यालय जाने की मनाही कर देते हैं।