खत्म हो जाएगा डीएलएड कोर्स, फिर कैसे पूरा होगा छात्रों का शिक्षक बनने का सपना?

खत्म हो जाएगा डीएलएड कोर्स, फिर कैसे पूरा होगा छात्रों का शिक्षक बनने का सपना?

 गजेंद्र पांडेय, नोएडा। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) से हर साल डीएलएड व बीटीसी का कोर्स पूरा कर हजारों छात्र डिग्री हासिल करते हैं, लेकिन सरकारी स्कूलों में उतने पद नहीं होने से अधिकतर छात्रों का शिक्षक बनने का सपना पूरा नहीं हो पाता। इन छात्रों का सपना कैसे पूरा होगा, जिले की डायट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए चुनी गई है। इससे छात्रों को क्या लाभ होगा।

परिषदीय स्कूलों में बच्चों का नामांकन व उपस्थिति कम होने का क्या कारण है, इसे कैसे बढ़ाया जाएगा। इन तमाम बिंदुओं पर वरिष्ठ संवाददाता गजेंद्र पांडेय ने डायट प्राचार्य राज सिंह यादव से बातचीत की



 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) अब चार वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स चलेगा। गौतमबुद्धनगर की डायट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए चुनी गई है। इसमें जीव विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, फिजिक्स व केमिस्ट्री, गणित समेत सभी विषयों की लैब होंगी। लाइब्रेरी होगी, डिजिटल लिटरेसी पर फोकस, कंप्यूटर की लैब होगी। इंटरमीडिएट के बाद अब जो बच्चे शिक्षक के तौर पर प्रशिक्षित होंगे। वह चार वर्ष का कोर्स पूरा होने पर ग्रेजुएशन और बीटीसी की डिग्री लेकर निकलेंगे।

इंटीग्रेटेड कोर्स पूरा करने पर मिलने वाली डिग्री बीएड और डीएलएड के सामान होगी। इस डिग्री के आधार पर वैकेंसी निकाल कर छात्र का चयन माध्यमिक और बेसिक शिक्षा विभाग में बतौर शिक्षक किया जाएगा। नई शिक्षा नीति के तहत सभी बोर्ड के सरकारी और प्राइवेट प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में प्रशिक्षित शिक्षक ही रखे जाने हैं। ऐसे में चार वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स पूरा कर डिग्री हासिल करने वाले अभ्यर्थियों को नौकरी के अधिक मौके मिलेंगे। सरकारी व निजी कॉलेजों में भी अवसर मिलेगा।

परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को सरकार तमाम संसाधन और प्रशिक्षण उपलब्ध करा रही है, इसके बाद भी नामांकन कम हो रहा, ऐसा क्यों?

मान्यता प्राप्त व प्राइवेट स्कूलों में कंपटीशन बढ़ रहा है। शिक्षक नामांकन बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। जिले की आर्थिक स्थिति बेहतर है। स्टेटस के चक्कर में अभिभावक प्राइवेट स्कूलों में बच्चों का नामांकन कराने को उत्सुक रहते हैं। हमारे स्कूलों में जो अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं। वह यहां मिल रहीं बेहतर सुविधाओं की जानकारी रखते हैं। हमारे स्कूलों के शिक्षक प्रशिक्षित हैं। आपरेशन कायाकल्प और आपरेशन कायाकल्प से जिलाधिकारी ने सीएसआर से अधिकतर स्कूलों को बेहतर कर दिया है।

परिषदीय स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति कम होने का क्या कारण है?

जिले के परिषदीय स्कूलों में बढ़ी संख्या में बाहरी मजदूरों के बच्चे पढ़ते हैं। यह मजदूर घर जाते हैं तो कभी 15 दिन तो कभी एक महीने बाद लौटते हैं। इसलिए उपस्थित प्रभावित होती है, जो यहां पर रहते हैं वह नियमित अपने बच्चों को पढ़ने भेजते हैं। फिलहाल हम लोगों ने शिक्षकों को निर्देश दे रखे हैं कि मोबाइल फोन आदि के माध्यम से अभिभावकों के संपर्क में रहें। आनलाइन माध्यम से उनको पढ़ाने का प्रयास करें। घर आने जाने वाले अभिभावकों के कारण हमारे स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति प्रभावित हो रही है।

अब शिक्षकों को हर वर्ष सिर्फ पांच दिन का प्रशिक्षण दिया जाना है, जबकि पहले पूरे साल प्रशिक्षण कार्यक्रम चला करते थे, बदलाव क्यों?

हमारे शिक्षक हर माह तीन से पांच दिन प्रशिक्षण के लिए जाते थे। नया माड्यूल तैयार किया गया है। जिसका प्रशिक्षण प्रत्येक शिक्षक को दिया जाएगा। पहले चरण में जिले के 1500 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसमें सुरक्षा संरक्षा, जीवन कौशल, डिजिटल लिटरेसी, एआइ समेत सारे कोर्स को माड्यूल बनाया गया है। शिक्षक पांच दिन में प्रशिक्षण लेकर अपने स्कूलों में पढ़ाने जा सकेंगे। इससे बार-बार शिक्षक को प्रशिक्षण के लिए नहीं आना पड़ेगा। जिससे बच्चों की पढ़ाई भी नहीं प्रभावित होगी।

दो साल पहले जिले की डायट का डिजिटलीकरण हो गया था, बच्चों को लाभ मिला क्या?

जिले की डायट का वर्ष 2023 डिजिटलीकरण हो गया था। इससे पहले हमारे बच्चों को कंप्यूटर का ज्ञान न के बराबर था। डिजिटल डायट होने से हमने एआइ व डिजिटल लिटरेसी पर अधिकतर शिक्षकों को ट्रेंड किया है। इसका लाभ बच्चों को हुआ है। प्रशिक्षित शिक्षकों के माध्यम से अधिकतर बच्चों को कंप्यूटर की बेसिक जानकारी दी गई है।

हर साल आरटीई की 70 प्रतिशत से अधिक सीटें खाली बच जाती हैं, ऐसा क्यों?

कुछ स्कूल मनमानी करते हैं, नियमों का हवाला देकर अभिभावकों को परेशान करते हैं। आरटीई में एक किलोमीटर का दायरा बताकर प्रवेश देने से बचते हैं। बीएसए स्कूलों की लोकेशन देखकर जिलाधिकारी से अनुमति लेकर बच्चों को प्रवेश दिला सकते हैं। फिलहाल इस तरीके के मामलों की जांच व बच्चों को प्रवेश दिलाने के लिए पिछली बार जिलाधिकारी ने टीम भी गठित की थी। टीम ने काफी स्कूलों में आरटीई में चयनित बच्चों को प्रवेश दिलाए थे। अभी भी प्रयास चल रहे हैं।

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