पटना, मुख्य संवाददाता।
मानसिक रूप से कमजोर बच्चे के साथ कैसा व्यवहार करें। उनकी बातों को कैसे समझें। इन सबकी जानकारी किलकारी बाल भवन में माताएं सीख रही हैं। परिवार के सदस्यों का व्यवहार कैसा हो, इन बच्चों की परवरिश में किन बातों का ख्याल रखें, ताकि इन्हें कोई दिक्कत न हो और इनकी स्थिति में सुधार हो सके। इसके लिए कक्षा में बच्चों के संग माताएं बैठती हैं और तमाम गतिविधि में शामिल भी होती हैं।
बता दें कि पिछले चार वर्षों से किलकारी बाल भवन में मानसिक रूप
से कमजोर बच्चों का दाखिला हो रहा है। वर्तमान में ऐसे सौ बच्चे यहां हैं। इन बच्चों के लिए किलकारी प्रशासन की ओर से कोई विशेष व्यवस्था नहीं की जाती है। बल्कि उन बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ ही कक्षा में बैठाया जाता है। ऐसे बच्चों पर शिक्षकों को थोड़ा ज्यादा मेहनत करनी होती है। पहले इन बच्चों की रुचि को पहचान की जाती है। जब इनकी रुचि का पता चल जाता है तो ऐसे बच्चे को उसी विधा में लगाया जाता है।
ऐसे अभिभावक लगातार बच्चे के साथ किलकारी बाल भवन में रहते हैं। इस दौरान उन्हें बच्चे के साथ बातचीत करना, लेनदेन करना, हंसना, खेलना आदि सिखाया जाता है। छह महीने में अभिभावक खासकर माताओं को
इसका प्रशिक्षण दे दिया जाता है। इसके बाद उन बच्चों की माताएं भी किलकारी जैसा ही घर में व्यवहार करने लगती हैं। इससे कमजोर बच्चों के ठीक होने की संभावना अधिक होने लगती है।
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