पटना। राज्य में तीस सरकारी स्कूलों के बच्चों की एक मई से ऑनलाइन हाजिरी होगी। ऑनलाइन हाजिरी वाला सॉफ्टवेयर यह भी बतायेगा कि स्कूल में उपस्थित बच्चों में से कितने मध्याह्न भोजन खाया।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने शनिवार को 'शिक्षा की बात हर शनिवार' में बताया कि जिन तीस सरकारी सकूलों में एक मई से बच्चों की ऑनलाइन हाजिरी होगी, उन्हें इसके लिए पहले ही टैबलेट उपलब्ध कराये जा चुके हैं।
ऑनलाइन हाजिरी के लिए बच्चे एवं शिक्षक सॉफ्टवेयर पर अपना रजिस्ट्रेशन करेंगे।
डॉ. सिद्धार्थ ने कहा कि ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि इसी सत्र से 6ठी कक्षा और इससे ऊपर की कक्षाओं के बच्चे भौतिक किताबों के साथ डिजिटल किताबें भी पढ़ सकेंगे। बच्चे चाहें, तो डिजिटल किताबों को अपने स्कूल की डिजिटल लाइब्रेरी से पेनड्राइव में डाउनलोड भी कर सकेंगे। इसके लिए 6ठी कक्षा एवं इससे ऊपर कक्षाओं वाले हर सरकारी स्कूल में आईसीटी लैब के साथ डिजिटल लाइब्रेरी की व्यवस्था होगी।
अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि शिक्षकों को दी जा रही ट्रेनिंग के अनुरूप स्कूलों में पढ़ाई हो। राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद को स्कूलों में यह देखने के लिए भी कहा गया है कि शिक्षकों को दी जा रही ट्रेनिंग स्कूलों में क्रियान्वित हो रही है या नहीं? अगर नहीं हो रही है, तो उसे सुनिश्चित कराये।
डॉ. सिद्धार्थ के मुताबिक हर सरकारी स्कूल में प्रतिदिन सबेरे 6.30 बजे चेतना सत्र में हर शिक्षक की उपस्थिति अनिवार्य है। चेतना सत्र में माइक उपयोग किया जाना है। चेतना सत्र में होने वाले प्रार्थना एवं अन्य गतिविधियों के स्वर संबंधित गांव-मुहल्ले के हर घर में पहुंचे, ऐसी व्यवस्था हर स्कूल को करनी है। इससे हर घर में यह संदेश जायेगा कि स्कूल शुरू हो चुका है। इससे गांव-मुहल्ले में शिक्षा का माहौल बनेगा।
अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने शिक्षकों से कहा है कि अपने स्कूल को आकर्षक बनायें, ताकि बच्चे खुद- खुद-व-खुद खिंचे चले आयें। चेतना सत्र में बच्चों में शिक्षक मानवीय गुण भरें। उन्हें पास-पड़ोस के बारे में बतायें। उनमें राष्ट्र के प्रति सम्मान सत्र में हर बच्चा की भावना भरें। चेतना सत्र उपस्थिति रहे, इसके लिए बच्चों के साथ ही उनके माता-पिता को प्रोत्साहित करें। समाज बस इतना सहयोग करे कि वह बच्चों को स्कूल भेजे। ड्रॉपआउट रोके।
अपर मुख्य सचिव डॉ. सिद्धार्थ ने कहा है कि 1 ली से 3री कक्षा तक के बच्चों को मातृभाषा में ही सिखाया जाना चाहिये। चाहे उन्हें पढ़ाया जाने वाला विषय अंग्रेजी ही क्यों न हो। मिथिलांचल में बच्चों के लिए मैथिली, भोजपुर में भोजपुरी एवं मगध में मगही भाषा के शब्दों के माध्यम से बच्चों को सिखाया जाना चाहिये।