चुनाव आयोग मतदाता सूचियों को साफ सुथरा बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी कवायद करने जा रहा है। इसके लिए मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने पर सहमति बन चुकी है। मगर इसकी शर्त को पूरा करने के लिए उन मतदाताओं से कारण जानना जरूरी है, जिन्होंने अभी तक अपना आधार नंबर वोटर रजिस्ट्रेशन के लिए नहीं दिया है। आयोग के पास अभी तक 66 करोड़ मतदाताओं के आधार एपिक नंबर (इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड नंबर) से लिंक्ड हुए हैं। मगर अब भी करीब 22 करोड़ मतदाताओं के आधार उपलब्ध नहीं हैं। इसका नतीजा ये है कि आधार के बेस पर मतदाता सूची से डुप्लीकेशन खत्म करने की प्रक्रिया शुरू भी नहीं हो पाई है।
सूत्रों के अनुसार, मतदाता सूचियों से डुप्लीकेसी खत्म करने के लिए वोटर्स तक पहुंचने की योजना बनाई गई है। इसमें बूथ स्तर के अधिकारियों को सक्रिय किया जाएगा, जो मतदाताओं के घर जाकर संपर्क करेंगे। इस दौरान पता लगाया जाएगा कि यदि एपिक नंबर को आधार से लिंक किया गया है तो उसकी पुष्टि क्यों नहीं की? अगर लिंक नहीं किया है तो उसकी वजह जानी जाएगी। साथ ही, उन्हें मतदान प्रक्रिया में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया जाएगा। बीएलओ अपना संपर्क नंबर मतदाताओं के साथ साझा करेगा और मतदान से जुड़ी उनकी हर जिज्ञासा को पूरा करेगा।
वोटर्स तक पहुंचने का यह व्यापक अभियान विधानसभा चुनावों के समानांतर चलाया जाएगा। जिस राज्य में चुनाव आने वाले हैं, वहां यह प्रक्रिया प्राथमिकता से पूरी की जाएगी। इस साल के आखिर में बिहार में होने वाले चुनाव में बीएलओ मतदाताओं के दरवाजे पर दस्तक देंगे। वहीं, अगले साल प. बंगाल, तमिलनाडु और केरल के मतदाताओं से संपर्क साधने की योजना बनाई गई है।
Post a Comment