आयकर विभाग से नोटिस आए तो घबराएं नहीं, सोच-समझकर समय पर जवाब दें, नोटिस के मुख्य कारण, इन बातों पर ध्यान दें

 आयकर विभाग से नोटिस आए तो घबराएं नहीं, सोच-समझकर समय पर जवाब दें, नोटिस के मुख्य कारण, इन बातों पर ध्यान दें



आयकर विभाग से नोटिस आए तो घबराएं नहीं, सोच-समझकर समय पर जवाब दें

हर साल करोड़ों भारतीय आयकर रिटर्न भरते हैं। करदाता अपनी आमदनी, निवेश और खर्च का ब्योरा ठीक से दाखिल करते हैं, लेकिन कई बार छोटी-मोटी गलतियां, चूक या जानकारी में असंगति के कारण आयकर विभाग की ओर से नोटिस आ जाता है। इससे लोग घबरा जाते हैं, जबकि सच यह है कि हर नोटिस का मतलब जुर्माना या परेशानी नहीं होता। आयकर नोटिस एक आधिकारिक सूचना होती है, जिसका मकसद करदाता से अतिरिक्त जानकारी लेना, किसी गड़बड़ी को ठीक कराना या कर वसूलना होता है। जरूरी यह है कि करदाता नोटिस को समझे, उसकी प्रमाणिकता जांचें और समय रहते उसका उचित जवाब दें।

नोटिस के प्रमुख प्रकार और उनकी वजह





धारा 143(1): सूचना (इंटिमेशन) नोटिस



● यह सबसे सामान्य और शुरुआती प्रकार का नोटिस होता है। जब कोई करदाता रिटर्न भरता है तो विभाग स्वचालित प्रणाली के जरिए ‌उसमें गई जानकारियों को अपने रिकॉर्ड से मिलान करता है।


● यदि सब कुछ सही बैठता है, तो एक सूचना आती है जिसमें बताया जाता है कि रिटर्न स्वीकार गया है। यदि आपको टैक्स ज्यादा जमा करना है या रिफंड बन रहा है, तो उसकी जानकारी भी इसी नोटिस में दी जाती है।


ध्यान दें


यह दंडात्मक नहीं, बल्कि आपके रिटर्न के विवरण साझा करने का नोटिस है।


धारा-139 (9) : त्रुटि सुधार के लिए नोटिस


● अगर आईटीआर में कोई भूल है जैसे, विवरण की कमी, गलत गणना, फॉर्मेटिंग की गड़बड़ी, तो धारा-139 (9) के तहत आयकर विभाग नोटिस जारी करता है। इस नोटस में 15 दिनों का समय दिया जाता है जिस दौरान सुधार करना होता है।


ध्यान दें


● अगर समय पर संशोधित रिटर्न न दाखिल किया जाए तो पहले भरा गया रिटर्न अमान्य माना जाता है।


धारा 156 : अतिरिक्त कर मांग का नोटिस


● यदि किसी आदेश के तहत आपको अतिरिक्त कर, ब्याज या जुर्माना देना है, तो अनुच्छेद 156 के तहत नोटिस जारी किया जाता है।


● इसमें स्पष्ट रूप से देय राशि और उसे चुकाने की अंतिम तिथि दी जाती है। इस नोटिस को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।


ध्यान


आयकर विभाग द्वारा दिए गए समय तक भुगतान अनिवार्य है, क्योंकि इसके बाद वसूली की कानूनी प्रक्रिया शुरू हो सकती है।


आयकर नोटिस वह आधिकारिक पत्र या ई-मेल/संदेश होता है, जो करदाता को किसी गलती, छूटी हुई आय, आधार/पैन मिलान, रिटर्न के डेटा में अंतर या अन्य कारणों से भेजा जाता है।


अलग-अलग परिस्थिति के लिए अलग-अलग आयकर धाराओं (सेक्शन) के तहत नोटिस जारी होते हैं और हर नोटिस का अलग उद्देश्य और उत्तर देने का तरीका होता है। उदाहरण के लिए टीडीएस विसंगति का नोटिस आमतौर पर आयकर अधिनियम की धारा 143(1) या धारा 200ए के तहत जारी किया जाता है। यह नोटिस तब आता है, जब करदाता के आयकर रिटर्न में टीडीएस की जो जानकारी दी गई है, वह विभाग के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाती है।


विभाग अपने रिकॉर्ड में इसे फॉर्म 26एएस और वार्षिकी सूचना रिपोर्ट (एआईएस) के जरिए जांचता है। अगर करदाता ने अधिक टीडीएस कटौती का दावा किया है या कटौती हुई ही नहीं है और वह दावा कर रहा है तो विभाग नोटिस भेज सकता है।


इसके अलावा किसी व्यक्ति या संस्था ने आपके नाम पर टीडीएस कटौती की हो, लेकिन यह जानकारी आयकर विभाग के सिस्टम में सही ढंग से परिलक्षित नहीं हो रही है तो इस स्थिति में विभाग नोटिस जारी कर सकता है।


15 से 30 दिन का मिलता है समय : यदि किसी करदाता को यह नोटिस मिला है तो इसका समय पर जवाब देना भी जरूरी है। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो आयकर विभाग यह मान सकता है कि उसने गलत दावा किया है। आमतौर पर आयकर विभाग नोटिस का जवाब देने के लिए 15 से लेकर 30 दिन तक का समय देता है। इसमें देरी होने पर करदाता पर जुर्माना लग सकता है या कानूनी कार्रवाई हो सकती है। यदि नोटिस जटिल है या उसकी प्रक्रिया करदाता को समझ नहीं आ रही है तो वह किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट या कर सलाहकार की मदद ले सकता है।




धारा 148 : आय छूट का आकलन


● कई बार ऐसा होता है कि सामान्य आकलन के दौरान कुछ विशेष आय छूट जाती है या दिखाई नहीं जाती। ऐसे मामलों में अनुच्छेद 148 के तहत नोटिस भेजा जाता है।


● इसमें विभाग को यह अधिकार है कि वह बीते सालों के खातों की फिर से जांच करे और छूटी हुई आय पर कर वसूल करे।


ध्यान दें


यह नोटिस गंभीर मामलों में जारी होता है और इसमें करदाता को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होती है।



इन बातों पर ध्यान दें

1. नोटिस ध्यान से पढ़ें


सबसे पहले नोटिस में दिए कारण, सेक्शन, असल राशि (यदि कोई), संबंधित आकलन वर्ष और जवाब देने की आखिरी तिथि देखें। अक्सर नोटिस में निर्देश भी होते हैं।


2. नोटिस की प्रमाणिकता जांचें


आयकर विभाग के पोर्टल (www.incometax.gov.in) पर लॉगिन करके देखें कि वही नोटिस पोर्टल पर दिख रहा है या नहीं। नकली ई-मेल/एसएमएस भी आते हैं, इसलिए केवल पोर्टल पर दिखे नोटिस को ही सही मानें।


3. पोर्टल पर नोटिस पढ़ें


पार्टल पर जाएं और Pending Action के तहत e-Proceedings पर क्लिक करें। यहां नोटिस खोलकर पूरी जानकारी पढ़ें। नोटिस में दिए हुए दस्तावेज और जवाब के निर्देश पर विशेष ध्यान दें।


4. सबूत और दस्तावेज इकट्ठे करें


नोटिस में मांगे गए दस्तावेज जैसे- बैंक स्टेटमेंट, टीडीएस प्रमाण पत्र, बिल, बिक्री/खरीद के वाउचर, फॉर्म-16/26एएस आदि, जितने भी जरूरी हैं, उन्हें व्यवस्थित कर लें। यदि कोई गलती हुई है तो उसका स्पष्टीकरण लिखें और समर्थन में दस्तावेज़ लगाएँ।


5. उत्तर तैयार करें और सबमिट करें


स्पष्ट, संक्षिप्त और तथ्य-आधारित जवाब तैयार करें। पोर्टल के माध्यम से अपलोड करें और सबमिट कर दें। सबमिशन के बाद मिलने वाला पावती संख्या सुरक्षित रखें।


6. अपडेट ट्रैक करें


पोस्ट/ई-मेल व पोर्टल दोनों चेक करते रहें। विभाग द्वारा आगे की कार्रवाई या सुनवाई के लिए सूचित किया जा सकता है। समय पर जवाब न देने पर अतिरिक्त जुर्माना या नोटिस आ सकता है।


7. विशेषज्ञ की मदद लें


यदि मामला जटिल है या आपको प्रक्रिया समझ नहीं आ रही है, तो चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) या कर सलाहकार की मदद ले सकते हैं।


वे नोटिस का सही जवाब तैयार करने और विभाग के साथ संवाद करने में मदद करेंगे।



नोटिस के मुख्य कारण

● जानकारी पूरी या सही नहीं दी है।


● बैंक स्टेटमेंट या अन्य दस्तावेजों में अधिक रकम का लेनदेन।


● अगर आय के मुताबिक निवेश या कर कटौती का दावा असंगत है।


● समय पर आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है या विलंब किया है।


● आईटीआर और फॉर्म 26एएस में डाटा मेल नहीं खाता है।


● विभाग को संदेह है कि कोई इनकम या संपत्ति छुपा ली गई है।


● कोई गलती, डुप्लीकेट या मिसिंग डॉक्यूमेंट मिला है।

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