क्लास रूम के गेट पर लगा ताला... प्रभारी प्रधानाचार्य ने लिखा-बीएलओ ड्यूटी पर हैं
शिक्षकों के बीएलओ बन जाने के कारण राजधानी के कई सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई बाधित हो रही है। कई स्कूलों में आधे से अधिक शिक्षकों को मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य (बीएलओ ड्यूटी) में लगा दिया गया है। स्थिति यह है कि स्कूल के क्लास रूम गेट पर ताला लटका है और बाहर लिखा है कि "बीएलओ ड्यूटी पर हैं"। वहीं बच्चे स्कूल आकर मैदान में खेलते हैं, बिना शिक्षक के कक्षा में बैठते हैं, मिड डे मील खाकर लौट जाते हैं।
बालक मध्य विद्यालय के सभी शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी में लगाया गया बालक मध्य विद्यालय गोलघर पार्क के
सभी शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी लगा दिया गया। स्कूल में कुल 8 शिक्षक हैं, जिनमें से 2 अन्य विद्यालयों में प्रतिनियुक्त हैं। एक मेडिकल अवकाश पर हैं। बचे 5 शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी पर तैनात कर दिया गया है। विद्यालय में 207 बच्चों का नामांकन है। प्रतिदिन औसतन 150 बच्चे आते हैं। बच्चों की देखरेख का जिम्मा अब एमडीएम (मिड डे मील) प्रभारी पर है। प्रभारी प्रधानाचार्य ने जिला प्रशासन से राहत की मांग करते हुए आवेदन भी दिया। लेकिन, जवाब में केवल यही निर्देश मिला कि प्रधानाचार्य को दोपहर 12 बजे तक स्कूल में उपस्थित रहना होगा।
अन्य स्कूलों की भी लगभग यही स्थिति
राजकीय कन्या मध्य विद्यालय, तारामंडल में कुल 9 शिक्षकों में से आधे से अधिक को ही बीएलओ में लगाया गया है। बच्चों एले कार्य से में से बात करने पर बताया कि पिछले कुछ दिनों से क्लास नहीं हो रही है। हम लोग ऐसे ही घूमते रहते हैं। बालक मध्य विद्यालय करबिगहिया में 10 शिक्षकों में से 6 बीएलओ ड्यूटी पर तैनात हैं। शेष बचे चार शिक्षक 200 बच्चों को संभालते हैं। कन्या मध्य विद्यालय करबिगहिया में 11 में से सिर्फ 3 शिक्षक विद्यालय में 200 से अधिक बच्चे को संभालते हैं। न्यू सिन्हा मॉडर्न मध्य विद्यालय पुंरदरपुर में कुल 7 शिक्षकों में से 5 बीएलओ कार्य में लगे हैं, जबकि विद्यालय में दो शिक्षक 80 बच्चे को संभालते हैं।
पुनर्विचार के लिए लगाई गुहार
शिक्षकों ने कहा कि उन्हें चुनाव एवं मतदाता सूची सुधार जैसे कार्यों में नहीं लगाना चाहिए। यदि सभी शिक्षकों को एक साथ बीएलओ बना दिया जाएगा, तो स्कूलों की बुनियादी जिम्मेदारी, बच्चों की पढ़ाई, कैसे पूरी होगी? इस स्थिति में जिला प्रशासन को तत्काल हस्तक्षेप करते हुए वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि बच्चों का भविष्य अधर में न लटके।
बीएलओ नियुक्त होने से कुछ स्कूलों में इस तरह की समस्या आई है। यह जानकारी हमारे संज्ञान में है। इसका समाधान सिर्फ मेरे हाथों में नहीं है। हम लोग इसकी सुधार करने के लिए बात कर रहे हैं।
-साकेत रंजन, जिला शिक्षा पदाधिकारी, पटना