दूर के स्कूलों में बच्चों को भेजने के लिए तैयार नहीं अभिभावक...अध्यापक भी आए साथ
शाहजहांपुर। छात्र संख्या कम होने के कारण बेसिक विद्यालयों के विलय का विरोध तेज हो गया है। सुरक्षा के मद्देनजर अभिभावक किसी कीमत पर बच्चों को दूर के स्कूलों में नहीं भेजना चाहते। अभिभावकों के साथ ही अध्यापक भी विरोध में उतर आए हैं। बृहस्पतिवार को कई विद्यालयों में अभिभावकों ने प्रदर्शन किया।
निगोही की ग्राम पंचायत इनायतपुर के मजरे घटुई स्थित प्राथमिक स्कूल का विलय होने पर दो किलोमीटर दूर बच्चों को भेजने के विरोध में ग्रामीण भड़क गए। ग्रामीणों ने विद्यालय गेट पर ताला लगाकर प्रदर्शन किया। अभिभावक सुनसान रास्ते और जंगली जानवराें के डर की वजह से बच्चाें को लेकर कोई जोखिम लेना नहीं चाहते हैं। घटुई तो एक उदाहरण है। जनपद की प्रत्येक ग्राम पंचायत में स्कूलों के विलय को लेकर बवाल बढ़ रहा है। ग्रामीणाें के साथ शिक्षक संगठन और राजनीतिक दल भी खड़े होने लगे हैं।
शासन की ओर से 50 बच्चों वाले स्कूलों को पड़ोस के गांव में अच्छे संसाधन वाले विद्यालयों में विलय करने के एलान के साथ ही विरोध शुरू हो गया। इस पर 40 से कम छात्र संख्या को आधार बनाया गया। बृहस्पतिवार तक 358 स्कूलों को विलय करने का आदेश बीएसए ने जारी कर दिया। यह आदेश अभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकाें तक नहीं पहुंचे हैं। गांव के स्कूल का विलय होने की सूचना पर बवाल होने लगा है। निगोही की ग्राम पंचायत मजरे घटुई, ददरौल ब्लॉक के पैतापुर समेत कई स्थानों पर स्कूलों में ताला डालकर विरोध किया गया।
घटुई के ग्रामीणों ने बताया कि उनके यहां के स्कूल को इनायतपुर गांव में शिफ्ट किया गया। वहां का रास्ता सुनसान है और दोनों ओर पतेल खड़ी है। झाड़ियों के कारण जंगली जानवरों का डर रहता है। बोले, बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से दो किमी दूर नहीं भेजेंगे। बच्चू सिंह, विश्राम सिंह, कमलेश कुमार, मोर सिंह, संदेश सिंह ने स्कूल बंद किए जाने का विरोध किया है।
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-बेटी नंदनी कक्षा तीन की छात्रा है। गांव के स्कूल में कोई खतरा नहीं है। इनायतपुर में स्कूल शिफ्ट कर दिया। वह रास्ता बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है। गांव वाले चाहते हैं कि स्कूल शिफ्ट नहीं किया जाए।
धनदेवी, घटुई गांव
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दो से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्कूल शिफ्ट होने पर बच्चे कैसे जा पाएंगे। अभी कुछ माह पूर्व गांव के व्यक्ति पर सियार ने हमला कर दिया था। निराश्रित जानवर भी रास्ते में घूमते रहते हैं।
बच्चू सिंह, अभिभावक
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पूर्व में प्रत्येक मजरे में स्कूल खोलने का काम हुआ। अब स्कूल खत्म किए जा रहे हैं। इससे शिक्षकों के पद खत्म हो जाएंगे। शिक्षा को बढ़ावा देने के बजाय नीचे गिराया जा रहा है। इसके खिलाफ जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देंगे। फिर सोशल साइट एक्स पर पोस्ट कर विरोध का अभियान चलाया जाएगा। आठ जुलाई को बीएसए कार्यालय पर धरना देकर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन दिया जाएगा।
संजय सिंह, प्रांतीय महामंत्री, प्राथमिक शिक्षक संघ।
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-40 छात्र संख्या से कम वाले स्कूल विलय करने का आदेश दिया है। दो किलोमीटर से अधिक रास्ता या बच्चाें की सुरक्षा को लेकर बात आने पर जांच कराई जाएगी। कुछ आदेश होल्ड भी किए गए हैं।
दिव्या गुप्ता, बीएसए
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बच्चों ने भी की नारेबाजी
-ददरौल क्षेत्र के पैतापुर प्राथमिक विद्यालय में अभिभावकों ने विद्यालय के विलय का विरोध किया है। उनके साथ बच्चों ने भी स्कूल के बाहर खड़े होकर नारेबाजी की। ग्रामीणों ने कहा कि बच्चे को दूसरे गांव नहीं भेज सकते हैं। हादसा होने पर कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होगा। विरोध करने वालों में ग्राम प्रधान अनुराधा देवी, एसएमसी अध्यक्ष मुनीम, उपाध्यक्ष फूलन देवी, मनोज, संतराम, रामदास, राजेश, मालती देवी आदि मौजूद रहीं।
कटरा विधायक से मिले शिक्षक नेता
जैतीपुर। प्राथमिक शिक्षक संघ के जैतीपुर ब्लॉक अध्यक्ष आदेश सिंह तोमर ने शिक्षकों एवं ग्रामीणों के साथ कटरा विधायक डाॅ. वीर विक्रम सिंह प्रिंस से मुलाकात की। उन्हें मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन देकर विद्यालयों की मर्जर व्यवस्था तत्काल रोकने की मांग की।
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नायब तहसीलदार को ज्ञापन दिया
तिलहर। भारतीय कृषक दल के राष्ट्रीय सचिव ने स्कूलों के विलय होने पर मुख्यमंत्री संबोधित ज्ञापन नायब तहसीलदार को दिया। राष्ट्रीय सचिव प्रमोद कुमार के नेतृत्व में स्कूलों के बच्चे और अभिभावक नारेबाजी करते हुए तहसील परिसर में पहुंचे। ज्ञापन में गांव के स्कूल विलय होने पर गरीब और किसानों के बच्चों पर शिक्षा पर सीधा असर पड़ने की जानकारी दी। रामपाल, सुबोध, नेत्रपाल, हसीना आदि मौजूद रहीं।
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बीएसए कार्यालय में आईं आपत्तियां
स्कूलों को मर्ज करने के विरोध में लोगों की आपत्तियां आने का सिलसिला जारी है। विभिन्न स्कूलों से लोग शिकायती पत्र दे रहे हैं। जनप्रतिनिधि से लेकर आमजन तक स्कूल बचाने की कवायद में लगे हैं। हालांकि, एक व्यक्ति के नाम से आई आपत्तियों पर विभाग विचार नहीं करेगा। ऐसे व्यक्ति को अपने बच्चे के पढ़ने का सुबूत भी देना होगा। तब जांच कराई जाएगी।