हाजिरी बनाने में शिक्षकों को हो रही परेशानी, एप में हो सुधार

हाजिरी बनाने में शिक्षकों को हो रही परेशानी, एप में हो सुधार

 बोले औरंगाबाद : हाजिरी बनाने में शिक्षकों को हो रही परेशानी, एप में हो सुधार

ई शिक्षा कोष सॉफ्टवेयर में तकनीकी समस्याओं के कारण सरकारी शिक्षकों को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है। कई क्षेत्रों में इंटरनेट की कमी और एप की धीमी कार्यप्रणाली से शिक्षकों की उपस्थिति में...




बोले औरंगाबाद : हाजिरी बनाने में शिक्षकों को हो रही परेशानी, एप में हो सुधार
ई शिक्षा कोष सॉफ्टवेयर में लगातार आ रही गड़बड़ियों के कारण सरकारी शिक्षक खुद को मानसिक दबाव में महसूस कर रहे हैं। जिले के कई इलाके ऐसे हैं जहां अभी भी नेटवर्क ठीक से काम नहीं करता है। नतीजा होता है कि इन्हें हाजिरी बनाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। मदनपुर प्रखंड क्षेत्र के जंगली इलाका में कई ऐसे गांव है, जहां अभी भी इंटरनेट की बात तो दूर बात करने के लिए उंची जगह तलाशनी होती है। इन इलाकों में इंटरनेट कनेक्शन के बावजूद एप के धीमा काम करने और अपडेट न होने के कारण शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज करने में समस्या आती है।
कई शिक्षकों ने बताया कि सिस्टम पर डाटा अपडेट न होने के कारण उनकी मेहनत बेकार हो रही है। शिक्षक इन तकनीकी समस्या के कारण मानसिक दबाव में हैं। कई बार उपस्थिति दर्ज होने के बाद भी सिस्टम पर अपडेट नहीं होता जिससे शिक्षक घबराहट और तनाव महसूस कर रहे हैं। शिक्षकों ने बताया कि शिक्षकों की उपस्थिति ई शिक्षा एप के माध्यम से दर्ज होती है। एप में हमेशा तकनीकी समस्या होती है। शिक्षकों के द्वारा अपनी नियत समय पर उपस्थित तो दर्ज कर दी जाती है। लेकिन कुछ घंटे के बाद या स्कूल के अंतिम समय में अनुपस्थित कर दिया जाता है। इसका मुख्य वजह एप में तकनीकी समस्या की है। सर्वर में गड़बड़ी या सुदूरवर्ती या दुर्गम क्षेत्रों में कमजोर इंटरनेट कनेक्शन की वजह से कभी-कभी एप काम नहीं करता है। जिले में कई ऐसे स्कूल हैं जो मुख्यालय से काफी दूर सुदूर देहात क्षेत्र में आते हैं। यहां पर शिक्षकों के मोबाइल में न तो नेटवर्क काम करता है न हीं एप काम करता है। ऐसे स्कूलों में वैकल्पिक व्यवस्था होने से शिक्षकों की उपस्थिति पंजी में गड़बड़ी नहीं आएगी। एरर की समस्या के लिए हेल्प सेंटर हो ताकि उसका तुरंत निदान हो सके। ज्यादातर शिक्षकों की शिकायत है कि एप के माध्यम से उपस्थित को भी अनुपस्थित कर दिया जाता है जिससे शिक्षकों के वेतन में कटौती हो जाती है। ऐसे में ऐप को हाईटेक बनाने की जरूरत है। शिक्षकों ने कहा कि यदि जिलावार एप दिया जाए तो इससे उस पर काम बोझ पड़ेगा या हैंग भी नहीं होगा। एक साथ पूरे राज्य भर का भार पड़ने से एप में परेशानी आ जाती है। इससे शिक्षकों की उपस्थिति नहीं बन पाती। कई बार हाजिरी बनने के बाद भी अनुपस्थित कर दिया जाता है। जिलावार एप होने से आसानी से एप में फीड हो सकेगा। महिला शिक्षिकाओं ने कहा कि हम लोगों को अपने गृह जिले के प्रखंड में स्थानांतरित करते हुए पदस्थापित किया जाए। उन्होंने कहा कि हम लोग घर से कोसों दूर विभिन्न विद्यालयों में अपनी सेवा दे रहे हैं। आने-जाने में सबसे ज्यादा परेशानी होती है। सुबह घर से दो घंटे पहले निकाल कर बस स्टैंड जाकर टेंपो या बस का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में इस दौरान राहगीर एवं मनचले का सामना करना पड़ता है। विद्यालय 4 बजे तक चलता है। उसके बाद विद्यालय से निकलते हैं। शाम का समय होने के कारण जल्दी सवारी गाड़ी नहीं मिल पाती है। देर शाम हो जाती है। इस स्थिति में वापस घर आने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि कुछ महिला शिक्षकों को आने-जाने का साधन है, तो उनको कोई दिक्कत नहीं है। जिनका नहीं है, उन्हें ज्यादा दिक्कत होती है। ऐसे में सरकार, जिला प्रशासन हम लोगों के लिए विद्यालय आने-जाने की व्यवस्था करे नहीं तो कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। विद्यालय में अलग-अलग जगह से शिक्षक आते हैं। वह अपने हिसाब से निकल जाते हैं। अकेले विद्यालय से घर आना-जाना मुश्किल हो जाता है। महिला शिक्षकों के ठहरने के लिए प्रखंड मुख्यालय में यदि भवन रहेगा तो परेशानी कम होगी। यदि उनके स्कूल आने-जाने में देर शाम होगी तो वहां आराम से रह सकती हैं। इतनी परेशानी के बाद भी यदि महिला शिक्षका मातृत्व एवं चिकित्सा अवकाश पर जाती हैं तो उनका विभाग द्वारा अवकाश के दौरान मानदेय बंद कर दिया जाता है जो बिल्कुल न्याय संगत नहीं है। इस स्थिति में हम लोगों को अपना घर चलाना भी मुश्किल हो जाता है। इस समय में हम लोगों को और अधिक रुपए की जरूरत होती है। महिला शिक्षिकाओं ने कहा कि घर से विद्यालय आने-जाने के लिए सरकारी बस या फिर अन्य व्यवस्था की जाए ताकि विद्यालय आने से परेशानी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हम लोग घर परिवार को छोड़कर अपने स्कूल में समय पर जाकर बच्चों को शिक्षा देने का काम करते हैं। सरकार व प्रशासन द्वारा हम लोगों के सुरक्षा से संबंधित कोई ठोस पहल नहीं है। सभी शिक्षकों के खाते में एक समान राशि नहीं शिक्षकों ने बताया कि कई शिक्षक ऐसे हैं जिनकी नियुक्ति एक ही तिथि में हुई है। इसके बावजूद सभी शिक्षकों के पीएफ खाते में समान राशि जमा नहीं हुई है। कई शिक्षकों को ईपीएफ में कटौती तो हुई है लेकिन उसका लाभ ईपीएफ खाते में नहीं दिखता है। कई शिक्षक वर्ष 2023 और 2024 में रिटायर कर चुके हैं। उनके साथ भी ऐसी समस्या है। कई साल पहले शिक्षा में सुधार को लेकर शिक्षकों की बहाली की गई थी। बिहार सरकार ने यूटीआई पेंशन स्कीम की शुरुआत की थी। दो सौ रुपए शिक्षक के द्वारा और विभाग से दो सौ रुपए सहायता देने का प्रावधान था। शिक्षकों ने बताया कि उसके बाद नियोजन के आधार पर शिक्षकों की बहाली हुई तो इपीएफ स्कीम लागू किया गया जिसमें नियुक्त कर्मचारियों से 18 सौ रुपया और विभाग की तरफ से 18 सौ रुपया ईपीएफ खाता जमा करने का प्रावधान है। उनको एनपीएस स्कीम से जोड़ने का प्रावधान लाया गया है जिसमें कि मूल वेतन और डीए का 14 प्रतिशत विभाग के द्वारा सहायता की जाएगी और 10 फ़ीसदी शिक्षक के वेतन से कटौती की जाएगी। अब ईपीएफ में सुधार होता है तो शिक्षकों को इसका लाभ मिल पाएगा। इससे शिक्षकों को लाभ मिल पाएगा। सेवानिवृत्ति पर लाभान्वित होंगे। शिक्षक-शिक्षिकाओं की मांग है कि या तो सरकार उनका मन माफिक तबादला कर दे अथवा उन्हें अपने स्कूल के आस-पास जाने के लिए परिवहन के साधन उपलब्ध करा दे। इसके लिए वे किराया भी देने को तैयार हैं। हालत यह है कि शिक्षिकाओं को शाम ढलने के बाद दूर दराज से घर लौटने के समय परेशानी का सामना करना पड़ता है। कहा कि स्थानांतरण के लिए आवेदन तो ले लिया गया है लेकिन अभी तक स्थानांतरण नहीं किया गया है। स्थानांतरण होने से शिक्षकों को कुछ हद तक राहत मिलती। उन्होंने कहा कि हम महिला शिक्षकों को जिले के अपने गृह प्रखंड के विद्यालय में स्थानांतरण किया जाए ताकि हम लोगों को विद्यालय आने-जाने में किसी भी तरह की कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। सुझाव 1. ई-शिक्षा एप में सुधार किया जाए। इसका लाइट वर्जन भी लाया जाए जो केवल हाजिरी के लिए हो। 2. 12 साल की सेवा पूरी कर नियोजित शिक्षक विशिष्ट शिक्षक भी बन चुके हैं, प्रोनोति की अर्हता पूर्ण करने वाले को प्रोन्नति दी जाए। 3. ईपीएफ में कटौती का संशोधन हो, सभी शिक्षकों को बराबर ईपीएफ का लाभ मिले। 4. सक्षमता पास शिक्षकों के ईपीएफ से एनपीएस में नाम जोड़ दिया जाए। 5. सुरक्षा के व्यवस्था को लेकर विभाग और प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। पांच शिकायतें 1. ई शिक्षा एप से शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज होती है, इसमें एरर होने से अनुपस्थित हो जाते हैं। 2. ईपीएफ में कटौती का संशोधन नहीं होने से सभी शिक्षकों को बराबर ईपीएफ का लाभ नहीं मिलता। 3.सक्षमता पास शिक्षकों का ईपीएफ से एनपीएस में नाम नहीं जोड़ने से परेशानी हो रही है। 4.अधिकांश शिक्षकों का 2024 में ही 12 साल की सेवा पूर्ण होने पर भी प्रोन्नति का लाभ नहीं मिला है। 5.मातृत्व अवकाश के दौरान वेतन बंद कर दिया जाता है। हमारी भी सुनिए मैटरनिटी व मेडिकल के भुगतान में काफी समस्या आ रही है। राशि विभाग के पास उपलब्ध है फिर भी डीए नहीं दिया जा रहा। इसके लिए संपर्क किया जाता है तो कोई सटीक जवाब नहीं मिलता है। रीना कुमारी शिक्षकों के ट्रांसफर का मामला कई वर्षों से फंसा हुआ है। अगर सही समय पर ट्रांसफर कर दिया जाए तो उन्हें मानसिक पीड़ा का सामना नहीं करना पड़ेगा। मनजीत कुमार पासवान चुनाव के समय हमें अतिरिक्त काम दे दिया जाता है जिससे पठन-पाठन पर असर पड़ता है। इसे बंद किया जाना चाहिए।


 शैक्षणिक गतिविधियों के अलावा दूसरे कार्यों से पूरी तरह अलग किया जाए। मनोज कुमार अधिकतर शिक्षकों ने सक्षमता परीक्षा पास कर ली है। ईपीएफ का पैसा एनपीएस में ट्रांसफर किया जाए लेकिन इसमें भी गड़बड़ी है। संगीता कुमारी शिक्षा विभाग को शिक्षकों पर विश्वास कायम रखना चाहिए। शिक्षकों को बेवजह परेशान किया जाता है। शिक्षा के मंदिर में शिक्षक कभी गलत कार्य में लिप्त नहीं हो सकते। अमिताभ तिवारी कई बार घर से निकलने के बाद जाम में फंसने के कारण स्कूल पहुंचने में लेट हो जाता है। इससे ऐप पर हाजिरी नहीं बन पाती है। इस मामले में शिकायत करने पर कोई पहल नहीं होती है। शंभू कुमार कई शिक्षक रिटायर हो गए मगर पीएफ का लाभ पूरी तरह से नहीं मिला। पता नहीं चलता कितनी राशि दी जानी है। मोहम्मद खर्शीद कई बार विभागीय या स्कूल कार्य से जिला मुख्यालय जाना पड़ता है।


 वैसी स्थिति में भी एप अनुपस्थित कर देता है। गौरव कुमार वेतन का आधार ई शिक्षा एप नहीं होना चाहिए। हम सभी उपस्थिति पंजी में अपना हस्ताक्षर और समय अंकित करते थे। वह सही माध्यम था लेकिन उसमें बदलाव कर दिया गया। जितेंद्र प्रसाद यादव ई शिक्षा एप के माध्यम से शिक्षकों की उपस्थिति बनाई जाती है लेकिन कई बार एप में गड़बड़ी के कारण अनुपस्थित कर दिया जाता है। अधिकारी इस समस्या को दूर नहीं कर पाते हैं। कमलेश कुमार पांडे कई प्रखंडों में डीए का एरियर अभी तक लंबित है। डीए का बकाया जल्द से जल्द भुगतान कर दिया जाना चाहिए ताकि हमारी ज़रूरतें पूरी हो सकें। कार्यालय में शिक्षकों की समस्या नहीं सुनी जाती है। राहुल कुमार महिला शिक्षक लंबी दूरी पर पद स्थापित हैं। शिक्षिका को अपने गृह प्रखंड में पद स्थापित कर देना चाहिए। इससे उन्हें सहूलियत होगी। जूही कुमारी स्कूल आने में कोई समुचित व्यवस्था नहीं रहने से दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। स्कूल आने के लिए सुबह निकलना पड़ता है। 

इस बीच काफी दिक्कतें होती हैं। लिसा रंजन गृह प्रखंड में महिला शिक्षिका को स्थानांतरित किए जाने की सुविधा प्रदान की जाए। आज स्कूल जाने के लिए सुबह ही निकलना पड़ता है। समय पर सवारी गाड़ी नहीं मिल पाती है। कुछ लोगों को यह सुविधा मिली है। सिंपल दूर स्कूल आने जाने में असामाजिक तत्वों का सामना करना पड़ता है। विद्यालय आने-जाने में सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिए जिससे परेशानी नहीं हो। आकांक्षा महिला शिक्षिका के अनुसार सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। हमारी मांग मानी जाए। अवकाश के दौरान किसी भी महिला शिक्षकों का मानदेय नहीं रुकना चाहिए। संगीता किसी भी अवकाश के दौरान महिला शिक्षकों का मानदेय नहीं रुकना चाहिए। विद्यालय आने-जाने के लिए महिला शिक्षकों को ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था की जाए। चंपा विद्यालय से घर जाने के लिए सरकारी सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। शिक्षकों के लिए उनके गृह प्रखंड में आवास की व्यवस्था होनी चाहिए। सुनील कुमार सुदूर देहात के विद्यालय में जाने में शिक्षिका को कठिनाई का सामना करना पड़ता है। सरकार को महिला शिक्षिका को विद्यालय तक जाने के लिए व्यवस्था करनी चाहिए। नायाब बानो जब तक स्कूल से घर नहीं पहुंच जाते हैं तब तक परिवार वाले लोग परेशान रहते हैं। विद्यालय जाने के लिए ट्रांसपोर्ट सिस्टम की व्यवस्था होनी चाहिए। नरेंद्र कुमार

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