1. छुट्टी एवं अवकाश
(क) छुट्टी- छुट्टी केवल कर्तव्य द्वारा उपार्जित होती है। इस नियम के प्रयोजनार्थ वाह्यसेवा, बाह्य सेवा में बिताई गई कालावधि कर्तव्य के रूप में गिनी जाती है, यदि इस कालावधि के मध्य छुट्टी वेतन में अंशदान किया जाय।
(सेवा संहिता नियम-154)
(ख) अवकाश- अवकाश से तात्पर्य हैः-
(1) निगोशिएबुल इन्स्ट्रमेंट्स ऐक्ट 1881 की धारा 25 के द्वारा या अधीन विहित या अधिसूचित अथवा अधिनियम 12,1887 की धारा 15 के अधीन पटना के उच्च न्यायालय द्वारा अधिसूचित अवकाश, तथा
(ii) किसी खास कार्यालय के संबंध में, वह दिन, जिस दिन राजपत्र (गजट) में प्रकाशित अधिसूचना द्वारा, ऐसे कार्यालय का सरकारी कार्य बिलकुल बंद रखने का आदेश दिया जाये।
(से. सं. नियम-22)
2. विभिन्न प्रकार की छुट्टियाँ (नई छुट्टी नियमावली)
(i) आकस्मिक छुट्टी
(ii) अदेय-छुट्टी
(iii) असाधारण छुट्टी
(iv) अर्द्धवैतनिक-छुट्टी
(v) अध्ययन-छुट्टी
(vi) अस्पताल-छुट्टी
(vii) उपार्जित-छुट्टी
(viii) निरोधा-छुट्टी
(ix) प्रसव-छुट्टी
(x) पितृत्व अवकाश (छुट्टी)
(xi) शिशु देखभाल-छुट्टी
(xii) रूपान्तरित-छुट्टी
(xiii) क्षतिपूरक छुट्टी
(xiv) विशेष अशक्तता-छुट्टी
(xv) विशेष आकस्मिक अवकाश (छुट्टी)
आइए अब इन छुट्टियों के बारे में विस्तार से जानते है👉
(i) आकस्मिक छुटटी (Casual Leave)
बिहार सेवा संहित के नियम 168 के आलोक में, आकस्मिक छुट्टी पर थोड़े दिनों के लिए कर्तव्य से अनुपस्थिति को किसी छुट्टी नियम के अधीन माना है, यानी यह छुट्टी नियमावली द्वारा शासित नहीं है।
आकस्मिक छुट्टी, छुट्टी नहीं मानी जाती और किसी नियम के अधीन नहीं है, अतएव तकनीकी दृष्टि से आकस्मिक छुट्टी पर स्थित सरकारी सेवक कर्तव्य से अनपुस्थित नहीं समझा जाता और उसका वेतन नहीं रूकता। यदि सरकारी सेवक के आकस्मिक छुट्टी पर अनुपस्थिति होने से लोक सेवा में किसी तरह की हानि होगी, तो छुट्टी देने वाला और छुट्टी लेने वाला दोनों उत्तरदायी ठहराए जायेंगे। आकस्मिक छुट्टी इस तरह कभी नहीं दी जानी चाहिए कि-
(क) वेतन और भत्ते की गणना की तारीख
(ख) पदभार
(ग) छुट्टी के आरंभ और अंत
(घ) कर्तव्य पर लौटने संबंधी नियमों का पालन न हो पाय या छुट्टी की अवधि, नियम द्वारा अनुमान्य अवधि से बढ़ जाय।
2(क) आकस्मिक छुट्टी विश्रामावकाश या किसी दूसरी तरह की छुट्टी के साथ मिलायी नहीं जा सकती और किसी एक पंचांग वर्ष में साधारणतया 16 दिनों से अधिक नहीं मिल सकती। सरकारी सेवक यदि कोई साम्प्रदायिक त्यौहार मनाना चाहे तो उन्हें आकस्मिक छुट्टी लेने की अनुमति दी जानी चाहिए। किसी खास परिस्थिति में यदि मंजूर करने वाला पदाधिकारी, विशेष कारण से 16 दिनों से अधिक आकस्मिक छुट्टी दे, तो यह बात कारण के साथ, छुट्टी देने वाले पदाधिकारी के विनान्तर श्रेष्ठ पदाधिकारी की जानकारी के लिए तुरंत सूचित करनी चाहिए।
2(ख)-रविवासरीय (स्थानीय अवकाश सहित), अवकाश, आकस्मिक छुट्टी आदि और अंत में जोड़े जा सकते हैं, किन्तु ऐसे अवकाश को मिलाकर अनुपस्थिति की कुल अवधि किसी एक समय में 12 दिनों से अधिक नहीं होनी चाहिए। (आकस्मिक छुट्टी की अवधि के भीतर पड़ने वाले रविवार या अवकाश छुट्टी के अंश नहीं माने जाने चाहिए।)
वर्ष के दौरान नियुक्त व्यक्ति को आकस्मिक छुट्टी उस वर्ष जितने महीने वह नियोजित रहा हो, उनकी संख्या के अनुपात में देनी चाहिए। (महीने का अंश पूरा महीना समझा जाय)
जिन सरकारी सेवकों को आकस्मिक छुट्टी 5 दिन बाकी हो और उसे 25 दिसम्बर के क्रिसमस अवकाश तथा 31 दिसम्बर के बैंक लेखे की बंदी अवकाश के बीच पड़ने वाली अवधि में लेना चाहें उन्हें यह मिलनी चाहिए। ऐसी छुट्टी खास कारणों से ही अस्वीकृत होनी चाहिए।
आकस्मिक छुट्टी का अधिकारपूर्वक दावा नहीं किया जा सकता। ये नियम केवल अधिक से अधिक की जा सकने वाली छुट्टी निहित करते हैं और राज्य सरकार कुछ सरकारी सेवकों को ऐसी छुट्टी स्वीकृत करने की विवेक शक्ति देते हुए भरोसा करती है कि वे इन दशाओं में यह छुट्टी नहीं देंगे जबतक वह वस्तुतः आवश्यक न हो तथा जब इसकी स्वीकृति लोक सेवा के हितों के विरुद्ध हो। जहाँ कोई इसी तरह की छुट्टी उपयुक्त है, यहाँ आकस्मिक छुट्टी देनी चाहिए।
(i) जो सरकारी सेवक आकस्मिक छुट्टी या विश्रामावकाश में अथवा अवकाश में अनुपस्थिति की इजाजत लेकर अधिष्ठापन छोड़ना चाहे, उसे अपने अधिकृत अपना पता दे देना चाहिए, जहाँ वह इस छुट्टी में रहेगा।
कोई सरकारी सेवक ऐसी छुट्टी में यदि वह राजपत्रित सरकारी सेवक हो तो सरकार की और यदि कोई अन्य हो, तो मंजूरी देने वाले प्राधिकारी की खास अनुज्ञा के बिना बाहर नहीं जा सकता।