सरकार का उद्देश्य शिक्षकों को बार-बार जिला या राज्य मुख्यालय के चक्कर लगाने से बचाना और उन्हें शैक्षणिक कार्यों पर केंद्रित रखना है। इसकी जानकारी शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एसीएस एस सिद्धार्थ ने दी है।
सरकार का कहना है कि शिक्षकों की समस्याओं का समाधान जिला और प्रखंड स्तर पर ही होना चाहिए था। इसके लिए जनता दरबार भी आयोजित किए गए, लेकिन शिकायतों के निवारण में गंभीरता की कमी के कारण बड़ी संख्या में शिक्षक कमांड एंड कंट्रोल सेंटर और यहां तक कि सचिवालय तक अपनी समस्याओं के समाधान के लिए पहुँचने लगे। इससे न केवल शिक्षकों का समय नष्ट हो रहा था, बल्कि शिक्षा व्यवस्था भी प्रभावित हो रही थी।
अब शिक्षकों को अपनी शिकायतों के समाधान के लिए ई-शिक्षक कोष पोर्टल का उपयोग करना होगा। इस पोर्टल के जरिए निम्न विषयों पर शिकायतें दर्ज की जा सकती हैं-
लंबित वेतन, बकाया वेतन, वेतन गणना में त्रुटि।
चिकित्सा अवकाश, मातृत्व अवकाश, अध्ययन अवकाश, अन्य अवकाश।
वेतन या पदस्थापन में त्रुटि, जन्मतिथि सुधार आदि।
भोजन की गुणवत्ता, आपूर्ति में कमी।
किताब, पोशाक, साइकिल या अन्य राशि प्राप्त नहीं होना।
भवन, बेंच-डेस्क, शौचालय, बिजली, जल आपूर्ति, स्मार्ट क्लास।
गंभीर बीमारियां, दिव्यांगता, पति-पत्नी स्थानांतरण।
भ्रष्टाचार और यौन उत्पीड़न संबंधी शिकायतें या आपातकालीन चिकित्सा समस्याएं।
शिक्षकों द्वारा दर्ज शिकायतों को जिला शिक्षा पदाधिकारी, निदेशक (प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा) तथा अपर मुख्य सचिव देखेंगे। भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतें केवल निदेशक और अपर मुख्य सचिव स्तर पर देखी जाएंगी। जिलास्तरीय अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे समयसीमा के भीतर शिकायतों का निपटारा कर ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अनुपालन प्रतिवेदन अपलोड करें।
आम जनता से प्राप्त शिकायतें पूर्ववत् कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के माध्यम से ली जाएंगी और उन पर कार्रवाई उसी प्रणाली के तहत होगी।
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि शिक्षक विद्यालयों में रहकर शैक्षणिक कार्य करें और कार्यालयों के अनावश्यक दौरे से बचें। यदि किसी कार्यालय द्वारा शिक्षकों के मूल आवेदन पर लापरवाही बरती गई तो संबंधित अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
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