ट्रांसफर के लिए अलग-अलग बीमारी का बनाया बहाना, कई शिक्षक की मेडिकल जांच रिपोर्ट में नहीं मिली कोई भी बीमारी

ट्रांसफर के लिए अलग-अलग बीमारी का बनाया बहाना, कई शिक्षक की मेडिकल जांच रिपोर्ट में नहीं मिली कोई भी बीमारी

 ट्रांसफर के लिए अलग-अलग बीमारी का बनाया बहाना, कई शिक्षक की मेडिकल जांच रिपोर्ट में नहीं मिली कोई भी बीमारी

सरकारी सेवा में बतौर शिक्षक की नौकरी करनेवालों ने अपने ट्रांसफर को लेकर विभाग को आवेदन दिए। इनमें कई ऐसे शिक्षक हैं, जिन्होंने ट्रांसफर और ड्यूटी से बचने के लिए बहानों की सूची बना ली। किसी ने खुद को मानसिक रोगी बताया तो किसी ने ब्रेन हेम्ब्रेज सहित अन्य तरह की बीमारियां बता दी। जिले के अलग-अलग प्रखंडों के करीब 200 से ज्यादा शिक्षकों ने ऐसे ही तर्क के साथ आवेदन दिए। हालांकि इनमें से कई शिक्षकों के आवेदन सिरे से इसलिए खारिज कर दिए गए क्योंकि इनके पास बीमारी से जुड़े



ठोस प्रमाण नहीं थे। जब दोबारा मेडिकल कॉलेज अस्पताल से चिकित्सकीय इलाज करवाकर रिपोर्ट लाने को कहा गया तो वह भी नहीं ला सके। लिहाजा उनका आवेदन यूं ही खारिज हो गया। वहीं कई शिक्षक ऐसे भी निकले, जिन्हें वाकई में परेशानियां थी और उन्हें मेडिकल सर्टिफिकेट भी जारी किए गए। दरअसल सरकार के निर्देश के बाद शिक्षकों का तबादला होना था। इसको लेकर अपने गृह क्षेत्र से बाहर काम करनेवाले कई शिक्षकों ने भी आवेदन दिए थे। जब जांच हुई तो जो अति गंभीर मरीज मिले, उनका तबादला उनके दिए पते के अनुसार हो गया, जबकि बाकी का खारिज हो गया।

कहां-कहां के शिक्षकों ने दिया था आवेदन

1. नवगछिया पकरा निवासी जयेश कुमार पूर्णिया के बैसा में पदस्थापित है। वह 9वीं और 10वीं के विद्यार्थियों को अंग्रेजी पढ़ाते हैं। सीएस को उन्होंने अपने आवेदन में बताया था कि 2012 के पहले से ही वह मानसिक विकास से ग्रसित हैं। जेएलएनएमसीएच से 2012 से इलाज चल रहा है।

2. इशीपुर बाराह्यट बरमसिया निवासी लाला ला शशि शशि शेखर शेखर ने अपने आवेदन में लिखा कि पिछले 12 वर्षों से शहर केचिकित्सक से अस्थमा और हार्ट का इलाज करवा रहे हैं। अभी गौरीपुर पीरपैंती में शिक्षक हैं, बीपी भी है। हमें कहा गया कि नए सिरे से इलाज करवाकर रिपोर्ट दें, मायागंज में एक-एक माह में बुलाया तो नहीं गए।

3. परबत्ता जगत्पुर निवासी अवधेश दास ने मानसिक पक्षाघात, शुगर और कान की खराबी की शिकायत की। उन्होंने अपने ट्रांसफर की प्रक्रिया के लिए मेडिकल रिपोर्ट देने की मांग की थी। उनका कहना है कि वह सबकुछ सुन सकते हैं, लेकिन कान में हमेशा भारीपन महसूस होता है।

4. सुल्तानगंज नारायणपुर निवासी प्रीतम कुमार ने ब्रेन हेमरेज होने को लेकर आवेदन दिया था। इसमें कहा था कि 13 अगस्त 2015 से इस बीमारी से ग्रसित हूं। इसके चलते हमेशा चक्कर आना और नींद नहीं आने की परेशानी है। वह पंचायत शिक्षक पद पर मध्य विद्यालय रघुचक में तैनात हैं।

हमारे यहां तो मेडिकल बोर्ड का सिस्टम है। मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए तो एक प्रक्रिया पहले से तय है। उसी अनुसार सभी को आना पड़ता है। वह फिजिकली और टेस्ट रिपोर्ट के अनुसार देखकर ही बोर्ड तय करता है। डॉ. अशोक कुमार, सिविल सर्जन |

जांच स्वास्थ्य विभाग के स्त्र से होता है। मामले में हमें पूरी जानकारी नहीं है। सीएस के यहां से जानकारी लेने के बाद ही कुछ बता पाएंगे।

राजकुमार शर्मा, डीईओ, शिक्षा विभाग



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