नवचयनित हेडमास्टरों को कमान संभालने से बदलेगी स्कूलों की व्यवस्था

 प्रधान शिक्षक व प्रधानाध्यापक का बहुप्रतीक्षित रिजल्ट आ गया है. पूरे बिहार में 40 हजार से ऊपर की संख्या में शिक्षकों ने इन परीक्षाओं में उत्तीर्णता प्राप्त की है. वर्ष 2022 से यह मामला लंबित चल रहा था. मामला हाईकोर्ट में भी गया. उसके बाद नियमावली में सुधार हुआ. फिर नयी नियमावली के तहत प्रधान शिक्षक व प्रधानाध्यापक की परीक्षा हुई और अंततः बहुत सारे शिक्षक इस परीक्षा में सफल होकर



प्रधानाध्यापक बनने वाले हैं. नये साल में योगदान की उम्मीद शिक्षा विभाग द्वारा पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि प्रधान शिक्षक का पद


विद्यालयों के लिए है अर्थात वैसे विद्यालय जहां कक्षा एक से पांच तक की पढ़ाई होती है. उन विद्यालयों में नया पद सृजित किया गया है. प्रधान शिक्षक प्राथमिक विद्यालयों के सभी शिक्षकों के प्रधान होंगे व विद्यालय की सारी प्रशासनिक व्यवस्था और जवाबदेही उनके ऊपर होगी, प्रधानाध्यापक का पद हाइस्कूल में सृजित किया गया है. उच्चतर माध्यमिक और माध्यमिक शिक्षक के रूम में कई वर्षों तक सेवा देने वाले शिक्षकों ने इस परीक्षा में सफलता प्राप्त बनी 

ऐसे खत्म होगा विद्यालयों में प्रभार का विवाद: गत कई वर्षों में यह देखा गया है कि प्राथमिक से लेकर अपग्रेडेड

उच्च विद्यालयों में प्रभार को लेकर शिक्षकों के बीच खींचतान की स्थिति रहती है. इससे न सिर्फ शैक्षणिक वातावरण बिगड़ता है, बल्कि पठन पाठन पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, कनीय शिक्षक प्रभारी बन जाते हैं व वरीय शिक्षक प्रभार के लिए विभागीय पदाधिकारी के पास शिकायत करते हैं. विभागीय पदाधिकारियों द्वारा मामलों में हस्तक्षेप के बाद मामला शांत होता है. अब प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापक के आ जाने के बाद नये साल से विद्यालयों में प्रभार को लेकर विवाद समाप्त हो जायेगा.


गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर रहेगा जोर गत कुछ महीनों में शिक्षा विभाग की सारी कवायद विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण

शिक्षा को लेकर प्रमुखता से उभर कर सामने आयी है. इसके लिए बड़े पैमाने पर विद्यालय अध्यापकों की नियुक्ति हुई है. शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी बन रही है. विद्यालयों में टैब देने की भी विभाग की योजना है. हर शनिवार को अपर मुख्य सचिव द्वारा शिक्षकों से संवाद स्थापित किया जा रहा है, नये साल में प्राथमिक विद्यालयों में प्रधान शिक्षक और उच्च विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों पर इस बात की विशेष जिम्मेदारी रहेगी कि विद्यालयों में किस प्रकार शिक्षा विभाग के अधिकांश नियमों को लागू किया जाये, ताकि शैक्षणिक वातावरण बेहतर हो व बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा सके।

Previous Post Next Post